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रविवार, 4 अप्रैल 2021

चुनावी नशा. स

है गजब का नशा चुनावी,जो मतदान के बाद उतरता।
पी ली कभी जोअधिक तो,कुछ वक्त उतरने में लगता।

आम,मध्यावधि या उपचुनाव,रहता इनमें सब प्रभाव।
ग्राम प्रधान एम पी,एम एल ए,है सबका यही स्वभाव। 

हर चुनाव वोटों की खेती,जाति धर्म के बिना न होती।
नशे में बहकते कदम नेता के देख बेचारी जनता रोती। 

उड़ान नशे में भरते हैं नेता,नहीं दिखाई देता आसमान।
लुड़क पड़ते चन्द कदमों पर उन्हें दिखाई देता श्मशान।


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