पी ली कभी जोअधिक तो,कुछ वक्त उतरने में लगता।
आम,मध्यावधि या उपचुनाव,रहता इनमें सब प्रभाव।
ग्राम प्रधान एम पी,एम एल ए,है सबका यही स्वभाव।
हर चुनाव वोटों की खेती,जाति धर्म के बिना न होती।
नशे में बहकते कदम नेता के देख बेचारी जनता रोती।
उड़ान नशे में भरते हैं नेता,नहीं दिखाई देता आसमान।
लुड़क पड़ते चन्द कदमों पर उन्हें दिखाई देता श्मशान।
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