मुख पर नित मुस्कान उदय।
दुर्भाव नहीं तिल भर मन में,
बीते यह जीवन निर्भय।
सौ बार जमीं पर गिरें भले,
सम्भलें आगे बढ़ते जाऐं।
संघर्ष कभी कमजोर न हो,
हम शिखर चढ़ते जाऐं।
हृदय में सहिष्णुता हो,
इंसान का हम सम्मान करें।
कर्तव्यपरायण हो जाऐं,
ये राष्ट्र पर अभिमान करें।
वंचित न हो कोई यहां,
सबको यहांअधिकार मिले।
शोषित हैंअभी जो यहाँ,
उनको राष्ट्र का प्यार मिले।