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शुक्रवार, 22 जून 2018

#वंचित स्वर # हल्ला बोल

सरकार चलाओ ,हल्ला बोल कर ।
सरकार गिराओ ,हल्ला बोल कर।
          उनका भी हल्ला,इनका भी हल्ला ।
          आपस में झल्ला, जनता को बहला ।
सब के सब हैं,एक थैली के चट्टे बट्टे।
यूॅ ही चला रहे हैं ,राजनीति के सट्टे ।
           ये  कभी इधर हैं, तो कभी उधर हैं।
            पता नहीं है कि कब कौन किधर हैं ।
गिरगिट की तरह ,खूब रंग बदले हैं ।
ये धरम जाति की खूब चाल चले हैं ।
             इनको  बस कुर्सी की हवस होती है।
             बेचारी जनता तो जीवन भर रोती है ।
क्या सोच सके हैं क्यों बंचित जन है ?
नेता के पास कितना संचित धन है ? 
              अब उठ जा तू भी ये हल्ला बोल ।
               सोच समझकर अपना मत तोल ।

गुरुवार, 21 जून 2018

# नास्तिक बोलता है ----(60)

  • क्यों तुम मौन हो? तुम क्योंअसमर्थ हो? 
पत्थरों में खोजते क्यों जीवन केअर्थ को।

बाहर भूखी भीड़ है बेबस लाचार खड़ी ,

बेजान पत्थरों पर उनकी आस्था जड़ी।

मकडजाल शब्दों के तथ्य हैं तर्कों से परे।

संवेदन हीन भीड़ में सबके सब हैं बहरे।

मुश्किल है समझाना परअसम्भव भी नहीं।

आस्तिक से नास्तिक हो जाना हैअच्छा कहीं।

कहता है जाग जाओ,भीड़ के पीछे न जाओ।

शिक्षित बनो तर्क करो जीवन में संघर्ष करो।

नास्तिक जो तर्क करता बुद्धि से स्वीकारता है।

स्वयं दीप बन कर नित्य जीवन को सवांरता है।

सबको यहां न्याय मिले और न कोई बंचित रहे।

वह नास्तिक जो बोल रहा उम्र भर जीवित रहे।

बुधवार, 20 जून 2018

# विश्व योग दिवस

आज विश्व योग दिवस के आयोजन पर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में लगभग पचास हजार लोगों के मध्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी योगाभ्यास करेंगे ।यह पहली बार है इसलिए यह ऐतिहासिक ही होगी ।योग का आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रयोग होता आया है परन्तु आज योग के अर्थ का विस्तारीकरण हुआ है ।योग का सामान्य अर्थ है जोड़ना ।  
             आर्थिक क्षेत्र में योग का अर्थ जोड़ने से लगा कर राष्ट्र की आर्थिक स्थिति को मजबूत करना  है ।सामाजिक क्षेत्र में बहुत सी बुराइयाॅ हैं जो समाज को तोड़ते रहे हैं योग के माध्यम से समाज के हर वर्ग को यौगिक क्रियाओं का ज्ञान देकर अखण्ड समाज बनाने की कोशिश में योग को  माध्यम बनाना  है ।इसी प्रकार राजनीति की स्थिति में भी सुधार की जरूरत है ताकि व्यक्तिगत हितसाधना से ऊपर उठकर मजबूत राष्ट्र साधना के लिए सबको तैयार करना है ।
            शब्दों के मकड़जाल में फंसी जनता अभी कुछ भी नहीं समझ पा रही है ।क्योंकि आम आदमी विकट आर्थिक स्थिति से जूझ रहा है ।साम्प्रदायिकता व जातीयता का नंगा नाच की घटनाओं पर अंकुश नहीं लगता दिखा है ।राजनीति सत्ता हासिल करने के लिए तोड़ फोड़ खरीद फरोख्त कई अनैतिक साधनों का प्रयोग करते दिख रहा है ।व्यक्ति का योगी बनना इतना सरल नहीं दिखता ।योगी जब सत्ता लोलुप होंगे तो योग का अर्थ राजनीतिक ज्यादा दिखाई देगा ।
     चलो जो भी है योग सीखने की कोशिश करें ।अपने को स्वस्थ बनाए ।निरोगी बनायें।

          

रविवार, 17 जून 2018

हमारा त्यौहार हमारा राष्ट्र

आते हैं त्यौहार बहुत कुछ इनके हैं कुछ उनके हैं ।
देते हैं संदेश प्यार का त्यौहार भले ही जिनके हैं ।
             धर्म एक है राष्ट्र एक है पंथ अनेकों हो सकते हैं ।
              मानवता के लिए हम प्राण निछावर कर सकते हैं।
फिर क्यों नफरत क्यों ए झगड़े हमआपस करते  हैं ।
धर्म जाति के तुच्छ अहंकार से भाई भाई लड़ते हैं ।
               ईद दिवाली होली क्रिसमस और बैसाखी रक्षाबंधन ।
                राष्ट्रीय पर्व हों सभी हमारे सभी करें हम अभिनन्दन ।

रविवार, 10 जून 2018

# स्कूल गीत #

है शहर के आस-पास,गांव में सबसे प्यारा ।
कोलाहल से दूर सुरक्षित है इस्कूल हमारा ।
सुन्दरता में यहां सैंकड़ों कैसे वृक्ष हरे भरे हैं।
कहीं लीची ,कहीं आम के सुन्दर पेड़ लदे हैं ।
प्रदूषण से मुक्त यहां पर,है पवन की धारा -
कहती है हर सुविधा से है ये इस्कूल हमारा ।
आमों की बगियों में जब प्यारी कोयल गाती।
बच्चो को मिलजुल रहने का वो संदेश सुनाती ।
हिलियन्स एकेडमी नाम से,है इस्कूल हमारा ।
है शहर के आस-पास ही, गांव में सबसे प्यारा ।
ममतामयी,मृदुभाषी सब,शिक्षिकाऐं हैं हमारी  ।
खूब पढ़ाती, खेल सिखाती,बातें करती प्यारी।
राष्ट्रीय पर्व पर हम मिलकर सब ध्वज फहराते ।
कदमताल के साथ हम राष्ट्र प्रेम के गीत सुनाते ।
सबका गौरव, है स्कूल वह जहांअमर है स्वच्छता ।
यही कामना करते हैं कि,खूूब मिले हमें सफलता ।


कांटों से डरो नहीं

फूलों का गर शौक हैतो  काटों से डर कैसा। इरादा मजबूत हैतो  ख्याल ये मुकद्दर कैसा। कभी धूप कभी छांव रहा करती जिन्दगी में, साथ न हो हमसफ़र का त...