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मंगलवार, 29 मई 2018

# मैं नहीं आप# मिट जाये संताप # (61)

हम चिंताओं के बोझ तले दबकर- 
रातभर सोने का उपक्रम करते हैं ।
और प्रातःअलसाई आँखों से- 
अपने मित्रों को गुडमार्निग का संदेश भेजकर,
 दिन की शुरुआत करते हैं। 
लेकिन सारा दिन चिंता में डूबे रहते,
चिन्ताओं से मुक्ति पाने के लिए-
पूजा वंदना, धूप बत्ती करना नहीं भूलते।
चिंताऐं धीरे-धीरे हमारे व्यवहार में,
परिवर्तन के कारण बन जाते हैं।
हम असामाजिक से होने लग जाते हैं ।
इसीलिए हमअस्वस्थ भी हो जाते हैं ।
हमारी अस्वस्थता-
हमें समाज से पृथक कर देती है ।
चिंता मुक्ति के कारण ढूंढने लगती है ।
सच तो यह है कि हम सदा ,
अपने बारे में ही सोचते हैं।
 दूसरों के बारे में नहीं सोचते हैं।
यदि हम दूसरों की सहायता करेंगे ,
तो दूसरे भी निश्चित हमारी सहायता करेंगे ।
इसी सकारात्मक सोच के साथ -
हम चिन्ताओं से मुक्ति पा सकेंगे।  
धार्मिक व्यवहार सेअधिक ,
सामाजिक व्यवहार में बदलाव ला पायेंगे । 
***** मैं नहीं आप,मिट जाये संताप *****

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