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मंगलवार, 28 जून 2022

आज



गर्मी का वही आलम है आज भी।
सूना सूना सा है मानसूनआज भी।

टकटकी लगाए देखता हूँआसमां,
गरज नहीं रहे हैं बादल आज भी।

विज्ञान का चमत्कार बहुत हुआ है, 
मगर मानसून से रिश्ता हैआज भी।

खेती जुआ है ऐसा पढ़ाया गया है।
भाग्य भरोसे है किसान आज भी।

धान तो पानी का ही पौधा रहा है,
उसे वर्षा का इन्तजार हैआज भी।


मन की बात

दूसरों को देख कर मन कुल बुलाता है।
गर्दिशे हाल अपनाभूल जाना चाहता है। 
कहना चाहता है वोअपने मन की बात,
अपने अनुभव साझा करना चाहता है।

छुपाकर बात वह नहीं रखना चाहता है।
मन में जो भी होउसके कहना चाहता है।
बात छोटी हो या बड़ी ये बात तो बात है ,
ज़िन्दगी को वो सौगात देना चाहता है।

बातें हैं जो जीवन की दशा बदल देती हैं। 
समझ आऐ दुश्मन का सर कुचल देती हैं। 
हर कोई बात सहज में नहीं मान लेता है,
बात भा गई तो परिस्थित बदल देती है।

बातें मन में यूँ मेघों की तरह उमड़ती हैं।
कभी बरसती ,बिजली सी कड़कती हैं।
सब बहरे हो गये हैं श्रोताओं की भीड़ में,
जाकर कान में ही  बात कहनी पड़ती है।


रविवार, 26 जून 2022

अग्निपथ

आज सड़कों पर युवा हैं लामबंद,
अग्निपथ को कौन पूछेगा यहां ?
अग्निवीरों की परीक्षाअग्निपथ में
परिणाम को कौन जूझेगा यहां ?

बात भक्ति की नहीं ये शक्ति की है,
शक्ति भी अर्जित होती है सोच से। 
भूख से लड़ना सिखाता है समर्पण,
हार जाता है वह यहाँ  संकोच से।

देश भक्ति है जवानों में एक जज्वा, 
सम्मान ही उसके लिए उपयुक्त है।
तानके सीना कुचलता दुश्मनों को,
निज चिन्ताओं से यदि वो मुक्त है।

अनुबंध मात्र चार वर्षों के लिए जो,
कमजोर करेगा वीरों की आश को।
हरएक सैनिक पर हमें जहाँ गर्व है,
वो अग्निवीर कैसे सहें उपहास को।


शुक्रवार, 24 जून 2022

मुक्ति का बोध

मुक्ति का बोध हो जिससे वह पथअच्छा।
मुश्किलों में साथ दे जो वही मित्र सच्चा।

रूढ़िवादी  बने रहना अज्ञानता है हमारी,
नये  युग में खुद का  बदल जानाअच्छा।

काम से कभी  न कोई  छोटा,बड़ा होता,
काम की सम्यकता खुद जानना अच्छा।

सरकारी नौकरियां तोअब मिलने से रही, 
अब तो खुद शिल्पकार हो जाना अच्छा।



गुरुवार, 9 जून 2022

चलना ही जीवन है।

चलना ही जीवन है बस तो चले चलें।
तोड़कर बंधन मुक्ति के लिए बढ़े चलें।
मानवता का श्रेष्ठ पथ ही बुद्ध धम्म है,
आओ मिलकर भ्रातृभाव से बढ़े चलें।

चुप रहना ये किसकोअच्छा लगता है।
पतझड़ होना किसकोअच्छा लगता है।
परिवर्तन है प्रकृति का शाश्वत नियम,
जीवन में ठहराव किसेअच्छा लगता है।

संसार में है दुख,दुख का कारण भी है।
दुःखों से मुक्त होने का निवारण भी है।
बुद्ध का पथ ही तो मुक्ति का सत्पथ है,
अप्प दीपो भव धम्म काआचरण ही है।

रुकना नहीं जीवन में यू बढ़ते जाना है।
संघर्ष किया है तो यह वक्त पहचाना है।
मित्र सदा अपना सुख दुख का साथी है,
आपस में मिलजुल कर प्रेम निभाना है।

कांटों से डरो नहीं

फूलों का गर शौक हैतो  काटों से डर कैसा। इरादा मजबूत हैतो  ख्याल ये मुकद्दर कैसा। कभी धूप कभी छांव रहा करती जिन्दगी में, साथ न हो हमसफ़र का त...