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मंगलवार, 28 जून 2022

आज



गर्मी का वही आलम है आज भी।
सूना सूना सा है मानसूनआज भी।

टकटकी लगाए देखता हूँआसमां,
गरज नहीं रहे हैं बादल आज भी।

विज्ञान का चमत्कार बहुत हुआ है, 
मगर मानसून से रिश्ता हैआज भी।

खेती जुआ है ऐसा पढ़ाया गया है।
भाग्य भरोसे है किसान आज भी।

धान तो पानी का ही पौधा रहा है,
उसे वर्षा का इन्तजार हैआज भी।


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