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गुरुवार, 9 जून 2022

चलना ही जीवन है।

चलना ही जीवन है बस तो चले चलें।
तोड़कर बंधन मुक्ति के लिए बढ़े चलें।
मानवता का श्रेष्ठ पथ ही बुद्ध धम्म है,
आओ मिलकर भ्रातृभाव से बढ़े चलें।

चुप रहना ये किसकोअच्छा लगता है।
पतझड़ होना किसकोअच्छा लगता है।
परिवर्तन है प्रकृति का शाश्वत नियम,
जीवन में ठहराव किसेअच्छा लगता है।

संसार में है दुख,दुख का कारण भी है।
दुःखों से मुक्त होने का निवारण भी है।
बुद्ध का पथ ही तो मुक्ति का सत्पथ है,
अप्प दीपो भव धम्म काआचरण ही है।

रुकना नहीं जीवन में यू बढ़ते जाना है।
संघर्ष किया है तो यह वक्त पहचाना है।
मित्र सदा अपना सुख दुख का साथी है,
आपस में मिलजुल कर प्रेम निभाना है।

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