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गुरुवार, 23 जनवरी 2020

हिलियन्स एकेडमी

हिलियन्स एकेडमी हिंदी / अंग्रेजी माध्यम प्री प्राइमरी से कक्षा पांच तक विगत दस वर्षों से रामनगर के ग्रामीण क्षेत्र गोबरा बन्दोबस्ती जस्सागांजा में शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय कार्य कर रही है ।प्रदूषण मुक्त पर्यावरण में स्थित विद्यालय चारों ओर लीची आम के बाग से घिरा हुआ है ।अनुपम प्राकृतिक सौंदर्य है।
स्कूल मेें शिक्षण कार्यकेे लिए प्रशिक्षित अध्यापक अध्यापिकाओं की नियुक्ति की गई हैं।छात्रों के चहुंमुखी विकास के लिए अध्य्यापिकाऐं एवं विद्यालय प्रबंधन हर समय तैयार रहता है।बच्चों के लिए खेलकूद के लिए मैदान उपलब्ध है जहांपर बच्चे भलीी-भांति खेेेल सकें।
विद्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है ।वार्षिकोत्सव तथा राष्ट्रीय पर्वों का भी आयोजन बड़े हर्षोल्लास के साथ किया जाता है समस्त अभिभावक समारोहों में उपस्थित हो कर आनन्दित होते हैं।

सोमवार, 20 जनवरी 2020

गणतंत्र(12)

छब्बीस जनवरी गणतंत्र दिना,
मिलजुलि रौंला जौंला अघिना।

जब जब हम आपस लड़,
भ्यारक मैंस एती आपड़।
द्वी सौ बरस ग्वरों अधीना,
आयो हमों पे भारी अदीना।

आयो हमों पे भारी अदीना।मिलजुलि रौंला जौंला अघिना।
छब्बीस जनवरी गणतंत्र दिना,मिलजुलि रौंला जौंलाअघिना।

ग्वरोंक जब एति बढ़ों जुलमा।
विरोध कर हणि उठि गय हमा।
घरबार छोड़ि सब ऐगय अघिना,
जवान बुढ़व सब नन तिना।

जवान बुढ़व सब नना-तिना,मिलजुलि रौंला जौंला अघिना।
छब्बीस जनवरी गणतंत्र दिना,मिलजुलि रौंला जौंला अघिना।


चन्द्रशेखर,भगतसिंह सुभाष,गांधी,
बलिदान दी बेर पायी आजादी ।
मिलिगे आजादी मिलगो सम्मान ।
अम्बेडकर लिख गय संविधान।

अम्बेडकर लिखगय संविधान,छब्बीस जनवरी गणतंत्र दिना।
किलैकि चाणौं हमुलै पछिना,मिलजुलि रौंला जौंला अघिना।

अब हमेंछों जनता  हमें पधान।
हमर राष्ट्र अब हमरौ विधान।
हमरि आजादी हमर सम्मान।
अमर रह जो हमर संविधान।
 
अमर रह जो हमर संविधान,धन धन गणतंत्र धन हो विधान।
छब्बीस जनवरी गणतंत्र दिना।मिलजुली बेर हिटो अघीना । 


सोमवार, 13 जनवरी 2020

#मा0नन्दराम बौद्ध

🌹🌹🌹अम्बेडकर विचारधारा से लैस मा0नन्दराम बौद्ध जी हमेशाअग्रणीय रहे हैं।रूढ़िवादी विचारों से ऊपर उठकर उन्होंने सामाजिक परिवर्तन के लिए संघर्ष की अलख जगाने का प्रयास किया।जब कभी रामनगर में गोष्ठियों सभाओं या समाज सुधार सम्मेलनों का आयोजन होगा मा0नन्दराम बौद्ध जी हमेशा याद आयेंगे।लगभग 1983-84 में वे रामनगर में आये मूल कोटाबाग निवासी बौद्ध जी राजकीय सेवा में सहायक विकास अधिकारी पंचायत बाजपुर में कार्यरत रहे।अवकाश प्राप्त करने के बाद उनका सम्पूर्ण जीवन अम्बेेेडकर मिशन को समर्पित रहा।वे सन्  2010 के बाद राष्ट्रीय बौद्ध महासभा के सदस्य व उत्तराखंड के प्रभारी के रूप में पूर्ण रूप से कार्य क्रम करते रहे।अपने अध्ययन एवं चिंतन-मनन से लेखन को गतिवद्ध किया और बहुजनों का इतिहास के संदर्भ में दो पुस्तकों का प्रकाशन भी किया।
    प्रसन्नचित व्यक्तित्व के धनी बौद्ध जी व्यसनों से दूर रहते थे और साथियों को भी व्यसनों से दूर रहने को प्रेरित करते थे।ध्यान व्यायाम व सुबह-शाम घूमना उनकी दिनचर्या थी। हास्य व्यंग्य उनकी चर्चाओं में होता ही था।खूब मनोविनोदी बौद्ध जी उत्तराखंड के शिल्पकार समाज के लिए आर्य समाज आन्दोलन उचित नहीं मानते थे।उनका मानना था कि इससे शिल्पकार समाज और अधिक मानसिक गुलाम हुआ है।उत्तराखंड शिल्पकार समाज के लिए आज बाबा साहेब डाक्टर भीमराव अम्बेेेडकर जी द्वारा प्रतिपादित बौद्ध धम्म उचित है।वे बामसेफ के रामनगर संयोजक भी रहे ।कई कैडर शिविर संचालित किए ।
   आपका जन्म  3 मार्च 1940 कोटाबाग में हुआ।यहीं शिक्षा प्राप्त की 14 जनवरी 2016लगभग पचहत्तर वर्ष की उम्र में उनका परिनिर्वाण हो गया ।आज बौद्ध जी हमारे बीच नहीं हैं लेकिन वे अपनी शिक्षाओं के लिए हमेशा हमारे हृदय में रहेंगे।उनके परिनिर्वाण दिवस पर उन्हें शत् शत् नमन।🌹🌹🌹

बुधवार, 8 जनवरी 2020

अपणि बोलि-भाषा(14)

कतुक भौल अपण मुलुक,कतु मिठि छा दुदबोलि।
हमुकैं बिगाड़ि गई जो ,डाव लागि जो उनरि झगुलि।
के अपणि मति बिगड़ि के हमुकैं भ्यारक बिगै गय।
भौल बखतक इन्तजारम,येति नन तिन भूकै रह गय।

हम घर कुड़ि छोड़ि पेट भर हैंणि शहर ऐ गय।
एतिक फरफराटम हम लै एतिक शहरी है गय।
एतिक रंगचंगाटम हमअपण बोलि भूलि गय।
शहरोंक भीड़ भड़ाकम हम लै इफनें डोई गय।

कोशिश करमों यांअपणि दुद बोलि सिख हैणि।
क्य खबर क्यहौं कब लौटण पडौल पहाड हैंणि।
आजकल लेखण लैरैं,अपण दुद बोलिक गीत।
खोजण लैरें ढोल दमाऊ हुड़ुक बिणाइ संगीत।

सायद के छा इनुमें आजि लै,गौं रिश्तोंक मिठास।
छोड़ि बै ऐगय जनोंकैं उनरि लैरैं हमुकैं निशास।
अपणि बोलि भाषा अपणि पछ्याण,हम बनोंल।
शहरोंक कैं उत्तराखंडी नयी गीत संगीत सिखोंल।

हमरि संस्कृति हमरि पछ्याण,रैगे अपण उ पहाड़।
जाकें लिबेर चौड़ चाकव हैरैंछी ऊं मारमें वां डाड़।
दद भूलिक आदर नि निभै सक सब बगै दी गाड़। 
लम्ब नाक लगै बेर लै नि उठ सक आजतक ठाड़।

झ्वड़ चांचरि न्योलि चैत्वाल हुड़ुकैकि थापम छाजी।
हुड़ुकैकि घमघमाटम वां  हुड़ुकी  पछिल छैं आजि।
हिटो हिकौव लगाओ उनू परि येति अब बखत ऐगो।
इसिक छटकी कब तक रहला सब एक दगड़ि लागो।

जरा सोचों हम कतुक ठुल,और ऊ कतुक छुअट छैं।
जोअघिलअघिल हिटमैं,उनरै पछिल हमर रुअट छैं।
हमों हबै ऊं छ् वट किलै?उनुकें अपण जस बनाओ ।
वघतक पारि हाथ पकड़ि उनुकैं लै उज्याव दिखाओ।










कांटों से डरो नहीं

फूलों का गर शौक हैतो  काटों से डर कैसा। इरादा मजबूत हैतो  ख्याल ये मुकद्दर कैसा। कभी धूप कभी छांव रहा करती जिन्दगी में, साथ न हो हमसफ़र का त...