प्रकृति केअनेक रूप,छाया कहीं कहीं है धूप।
जंगल नदी पहाड़ हर,पठार भी इसके स्वरूप।
कहींअतल समतल कहीं,ये बड़े बड़े पहाड़ हैं।
कहीं तलहटी गुफा कहीं,ये घुमावदार पठार हैं।
अनुपम छटा प्रकृति की,जो लगे रानी रूप की।
विकृत जो हुई कभी,लगी कालाग्नि कुरूप भी।
सुन्दर मुकुट हिमाल जो,उत्तराखंड की ढ़ाल है।
जनपद चमोली के लिए,आज बनी महाकाल है।
सात फरवरी इक्कीस को,ऐसी घटी यहआपदा।
कई लोग हुए हैं जमींदोज,और कई हुए लापता।
बर्फ से लदे शिखर,हिमनद कई यहां हैं ढ़के हुए।
ताप जब बढ़ा तो हिमनद बहे उफान लिए हुए।
जरा देखिए तो प्रकृति की प्रकृति भी अजीब है।
कहते हैं लोग यहां स्वर्ग और नर्क सब नसीब है।
जी रहा है चैन से यहां उम्र कम है सौ साल भी।
आपदाओं से घिरा कोई भेंट चढ़ जाता काल की।