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रविवार, 31 जनवरी 2021

व्यवस्था बदलनी चाहिए ***स

आओ ऊँचे आसमां में तिरंगा फहराऐं।
  गणतंत्र दिवस कीअमर दास्तां सुनाऐं।
    वीरों की शहादत को हो नमन शत् शत् ,
     जन जन को गणतंत्र का रास्ता दिखाऐं। 

गैरबराबरी की व्यवस्था बदले ये बताऐं।
  इन्सानियत की सदा राह चलना सिखाऐं।
   हो धूँआं गर कहीं हवाओं का रुख भी हो,
      तो हम उस धूँए में आग जाकर लगाऐं।

तुम शिक्षित बनो ऐसा कह गये अम्बेेेडकर।
  बदलें व्यवस्था को जहां है जाति का जहर।
    असहिष्णुता से कभी भला नहींआदमी का,
      मनुजता जहां हो करें गर्व उस संस्कृति पर।



बुधवार, 27 जनवरी 2021

तार तार तिरंगा**स





हो गई है तार तार,तिरंगे की शानआज, 
लुटने लगी है लाज, आज गणतंत्र की।
आजादी के इतिहास,का हुआ उपहास,
भीड़ में पड़ी है आज,लाश जनतंत्र की।

उदघोष जैहिन्द का, कहां वन्दे मातरम,
लगता ये खोखली है,शान लोकतंत्र की।
किसानों का मेलाअब,दूर हुआ रेला सब,
किसने कहानी रची,इस  षडयंत्र की।

जनता बेचारी की तो,लचर लाचारी बड़ी,
उसी की लाचारी पर,राजनीति होती है।
कभी जात-पात पर,कभी खुरापात पर,
राजपाट के लिये तो,कूट नीति होती है। 

जन तंत्र में जो नेता षड यंत्र रच  लेता,
ऐसे नेताओं को बड़ी,कूटनीति आती है।
राजनीति खेल ही है,कठपुतली का जैसा,
निज ऊंगलियों पर ,जन्ता को नचाती है।







कांटों से डरो नहीं

फूलों का गर शौक हैतो  काटों से डर कैसा। इरादा मजबूत हैतो  ख्याल ये मुकद्दर कैसा। कभी धूप कभी छांव रहा करती जिन्दगी में, साथ न हो हमसफ़र का त...