गणतंत्र दिवस कीअमर दास्तां सुनाऐं।
वीरों की शहादत को हो नमन शत् शत् ,
जन जन को गणतंत्र का रास्ता दिखाऐं।
गैरबराबरी की व्यवस्था बदले ये बताऐं।
इन्सानियत की सदा राह चलना सिखाऐं।
हो धूँआं गर कहीं हवाओं का रुख भी हो,
तो हम उस धूँए में आग जाकर लगाऐं।
तुम शिक्षित बनो ऐसा कह गये अम्बेेेडकर।
बदलें व्यवस्था को जहां है जाति का जहर।
असहिष्णुता से कभी भला नहींआदमी का,
मनुजता जहां हो करें गर्व उस संस्कृति पर।