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सोमवार, 3 अप्रैल 2023

रिश्ते

पारिवारिक रिश्ते हैं अब दिखाने के लिए।
वृद्धाआश्रम हैं जिन्दगी गुजारने के लिए।

अन्तिम बार बेटा मिलनेआया वृद्धाश्रम में,
वो भी अपनी मां का कंगन चुराने के लिए।

धन दौलत है तो  रिश्ते हजार बन जाते हैं,
मगर  समय नहीं है रिश्ते निभाने के लिए।

मदद  की है तुमने  कभी जिन  लोगों की,
मदद को मशहूर हैं बहाने बनाने के लिए। 

रिश्ते नहीं तो  परिवार कहां  रह गये अब,
रिश्ते रह गये  कागज में दिखाने के लिए।

संयुक्त परिवार टूटे एकांकी  हो गए  सब,
मां कहांअबआया हैं दूध पिलाने के लिए। 


सुहाना मौसम

वाह !कितना सुहाना हो गया मौसम,
जब से यहाॅ बारिस हो रही झमाझम। 
गर्मी का हाल  पानी उबलने लगा था।
दावानल खुद-ब-खुद सुलगने लगा था।
पसीने से तरबतर,मानो नहा लिए हम।
वाह ! कितना सुहाना हो गया मौसम,

जब से यहाँ बारिस हुई है झमाझम।
मूसलाधार हो रही न हो रही है कम।
कूलर एसी काअसर न दिख रहा था।
पंखा भी छत से आग उगल रहा था।
भीषण गर्मी में बस घुट रहा था दम।
वाह! कितना सुहाना हो गया मौसम।

बूंदों ने धरती की तपन कम करदी।
प्राणों में जीवन की कल्पना भर दी।
लद जायेंगे बेल फलियों से हरदम। 
वाह कितना सुहाना हो गया मौसम। 
जब से यहाॅ बारिस हो रही झमाझम।
वाह! कितना सुहाना हो गया मौसम।


कांटों से डरो नहीं

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