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सोमवार, 3 अप्रैल 2023

रिश्ते

पारिवारिक रिश्ते हैं अब दिखाने के लिए।
वृद्धाआश्रम हैं जिन्दगी गुजारने के लिए।

अन्तिम बार बेटा मिलनेआया वृद्धाश्रम में,
वो भी अपनी मां का कंगन चुराने के लिए।

धन दौलत है तो  रिश्ते हजार बन जाते हैं,
मगर  समय नहीं है रिश्ते निभाने के लिए।

मदद  की है तुमने  कभी जिन  लोगों की,
मदद को मशहूर हैं बहाने बनाने के लिए। 

रिश्ते नहीं तो  परिवार कहां  रह गये अब,
रिश्ते रह गये  कागज में दिखाने के लिए।

संयुक्त परिवार टूटे एकांकी  हो गए  सब,
मां कहांअबआया हैं दूध पिलाने के लिए। 


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