जब गांधी ने आह्वान किया था।
स्वतंत्रता की इस जन क्रांति को,
स्वतंत्रता की इस जन क्रांति को,
"करो या मरो "का नाम दिया था।
इस स्वतंत्रता के महा समर में,
इस स्वतंत्रता के महा समर में,
हर बच्चा- बच्चा कूंद पड़ा था।
सिर पर बांधकर कफन क्रांतिवीर,
हरेक वृद्ध युवा निर्भीक खड़ा था।
तब सल्ट कहां था रुकने वाला,
तब सल्ट कहां था रुकने वाला,
हर वीर सल्डिया निकल पड़ा ।
घर से इन्कलाब का झंडा लेकर,
निर्भय होकर सामने हुआ खड़ा।
हर गांव से आकर वीर बांकुरे,
सभी खुमाड़ गांव में जमा हुए।
आंखों में चमक ले आजादी की,
और दिलों में नया उत्साह लिए।
जिला कलेक्टर जॉनसन ने ,
जब खुमाड़ गांव का हाल सुना।
गुस्से में तिलमिला कर उसने,
अपने हाथों से निज सिर धुना।
तुरन्त पुलिस को लेकर उसने,
गांव खुमाड़ को प्रस्थान किया।
रणसिंह बजाकर बिणदेव ने,
जौनसन के आने का पैगाम दिया।
जब खुमाड़ में पहुंचा जॉनसन,
वहां वीर खीमानंद खड़ा हुआ।
उनके पीछे ही उनका भाई ,
क्रांति वीर गंगा राम अड़ा हुआ।
गोरे अंग्रेज जॉनसन निष्ठुर ने,
जब फायर का आदेश दिया ।
वीर बहादुर सिंह चूड़ामणी ने,
निर्भय अपना सीना तान दिया।
गोलियां दनादन चली वहां पर,
कुछ घायल कुछ शहीद हो गए।
भाग गया जॉनसन दुम दबाकर,
वीर सल्डिये इतिहास लिख गये।
अमर शहीदों को शत् शत् नमन,
करते हैं श्रद्धांजलि अर्पित जन।
गौरवान्वित हो जाता है यह मन।
करके उन वीरों का कृत चिंतन।
"""""" ""@स्नेही""""""""""""