हिंदी कविता Magic of poetry
विषय ----शिक्षा
स्वरचित कविता एन.आर.स्नेही
रामनगर नैनीताल उत्तराखंड
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गुरु शिष्य के बीच अन्तरंग प्रक्रिया है ,
चली आ रही यह सीखने की क्रिया है।
गुरु से मिले जो ज्ञान हमें वह दीक्षा है।
कर्तव्य बोध हो जाय सच्ची शिक्षा है।
शिक्षा को नित भाषा सिंचित करती है,
स्वर-व्यंजन से वह विकसित होती है।
कर्मवीर की शक्ति दायिनी ही शिक्षा है,
कर्मों की ही मुक्ति दायिनी ही शिक्षा है।
अन्धकार में ज्योति दायिनी शिक्षा ही है,
वंचित कीअधिकार दायिनी शिक्षा ही है।
अपने मन की अभिव्यक्ति शिक्षा ही है।
राष्ट्रप्रेम का बोध हो जाना शिक्षा ही है।
पढ़ना लिखना और समझना शिक्षा ही है।
आपस में भाई-चारा बढ़ाना शिक्षा ही है।
घर-घर शिक्षा दीप जलाना शिक्षा ही है ।
राष्ट्रप्रेम के संस्कार जगाना शिक्षा ही है ।
सच्ची शिक्षा वही जो जाने स्वतंत्रता को।
स्वाभिमान से जीये, कुचले परतंत्रता को।