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शनिवार, 15 जनवरी 2022

बच्चो आज सुनो कहानी तुम संत निकोलस की।
सदा चला जो राहों पर अपने पैगंबर जीजस की।
राजा के घर जन्मा उसे सदा गरीबों से प्यार रहा।
निर्धन की सेवा करनेको वह दिन-रात तैयार रहा।
नये नये परिधान पहनकर  बच्चों को जो भाता था।
बड़े सबेरे उनके घर में वो खिलौने रख जाता था।
हिम प्रदेश का वासी जिसका शुद्ध निर्मल मन था।
हमसे बड़ा होने पर भी उसमें हम सा  बचपन था।
एक बार की बात गांव में एक निर्धन बुढिया रहती।
तीन पुत्रियों के साथ वह एक झोपड़ी में वो रहती।
पैसे नहीं थे पास उसके और पुत्रियां जवान हो गई।
अब कैसे शादी हो इनकी वह बहुत परेशान हो गई।
इसकी भनक जब लगी संत को चुपके आया घर में।
सोने के सिक्के थैली में बन्द कर वह रख गया घर में।
सुबह उठी बहनें तीनों उन्होंने दरवाजे पर थैला देखा।
हर्षित हुए सब घर में जाना ये बदली भाग्य की रेखा। 
मानवता का कोई पुजारी जब आता है इस धरती पर।
सारे संकट दूर हो जाते रहेंगे समाज में जब मिलकर।

 



 

गुरुवार, 13 जनवरी 2022

मुक्तक

ज्ञान का दीपक जले हर मन उज्ज्वल हो।
जन जन हो समृद्धिवान दुर्जन विफल हो।
अग्निमय संकल्प ले सत्पथ पर आगे बढ़ें,
लक्ष्य पाने का उनकाअभियान सफल हो।

मोह में जो फंसा सुख भला कहां मिला। 
ये पत्थरों में कभी फूल कोई नहीं खिला। 
धरा पर जब भी गिरा श्रमण का पसीना,
तभी बढ़ा गुलशन में रिश्ते ए सिलसिला।

अग्रणीय है वही जो जागता है वक्त पर।
हमेशा कर्मवीर ही तो बैठता है तख्त पर। 
त्यागकर आलस्य जो रहा हमेशा जागता, 
उसी का त्याग काम आ रहा है  वक्त पर।
@स्नेही



कांटों से डरो नहीं

फूलों का गर शौक हैतो  काटों से डर कैसा। इरादा मजबूत हैतो  ख्याल ये मुकद्दर कैसा। कभी धूप कभी छांव रहा करती जिन्दगी में, साथ न हो हमसफ़र का त...