जन जन हो समृद्धिवान दुर्जन विफल हो।
अग्निमय संकल्प ले सत्पथ पर आगे बढ़ें,
लक्ष्य पाने का उनकाअभियान सफल हो।
मोह में जो फंसा सुख भला कहां मिला।
ये पत्थरों में कभी फूल कोई नहीं खिला।
धरा पर जब भी गिरा श्रमण का पसीना,
तभी बढ़ा गुलशन में रिश्ते ए सिलसिला।
अग्रणीय है वही जो जागता है वक्त पर।
हमेशा कर्मवीर ही तो बैठता है तख्त पर।
त्यागकर आलस्य जो रहा हमेशा जागता,
उसी का त्याग काम आ रहा है वक्त पर।
@स्नेही
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