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शनिवार, 28 सितंबर 2019

#सम्यक दृष्टि ***(42)


जो श्रम करता है जमाने में वही है श्रमजीवी,
दूसरों पर निर्भर रहने वाला तो है परजीवी।
स्वावलंबन की संस्कृति अपनाए जो जीवन में,
वही आदमी तो है जमाने में हमेशा चिरंजीवी।
जो श्रम करता है और समय के साथ चलता है,
सबकी सुनता है,मगर बात मन की कहता है।
बेहतर है उस श्रमजीवी का स्वाभिमान में रहना,
सम्यक श्रम से ही जमाने में,चमत्कार करता है।
राग जमाने में बहुत हैं,पर अनुराग अच्छा है।
मुक्ति का बोध हो जिससे, वह ज्ञान सच्चा है।
किताबें जीवन में हम भले ही कितनी पढ़ लें,
सम्यक ज्ञान हो जाय तो वो जीवन अच्छा है।
कहीं मंदिर,गिरजा घर, कहीं मस्जिद बने हैं।
साम्प्रदायिक तनावों में हम कई बार उलझे हैं।
अल्लाह ईश्वर गौड सब बराबर हैं हमारे लिए।
हमें तो एक रोटी चाहिए,बस पेट भरने के लिए।
पत्थरों मेंआस्था से, किसी का पेट नहीं भरता।
परतंत्रता में कैसे लिखें,स्वाभिमान की कविता।
शुद्ध हैं भाव जिसके,चलता वही है बुद्ध पथ पर,
निकलती है शीलों से ही सम्यक ज्ञान की सरिता।
      

शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

#अभी हम कहां हैं आजाद!


अभी हम कहां हैं आजाद!
कहो इन्कलाब जिंदाबाद ।          
            जाग रे जाग साथी जाग!
             मुश्किलों से दूर मत भाग।
              होकर निडर तू सामना कर,
              क्रांति की तू कामना कर।             
              जुल्मियों को मार थप्पड़।
               भगतसिंह की राह पकड़।
                जुल्म अब तक सह रहे हैं। 
                  ए हाल अपना कह रहे हैं।
अभी हम हैं कहां आजाद।
कहो इन्कलाब जिंदाबाद।
                   इतिहास के पन्ने पलट ले ।
                     शहीदों के वो गीत रट ले ।
                       भगतसिंह की प्रेरणा से,
                         नवयुग की बुनियाद रख ले।
                           जाग रे जाग साथी जाग।
                            मुश्किलों से दूर मत भाग।
                            होकर निडर सामना कर।
                             क्रांति की तू कामना कर।
अभी हम कहां हैं आजाद!
कहो इन्कलाब जिंदाबाद ।
                       केवल अभी सूरज उगा है।
                        न अभी स्वाभिमान जगा है।
                        धर्म जाति के इस तिमिर में,
                         रोगअस्पृश्यता का लगा है।
                         भगतसिंह के शब्द कोषों से,
                          तू बीज संकल्प के उठा ले।
                           इन्कलाब केअमर स्वर से ,
                            क्रांति की रोशनी जगा ले।
अभी हम कहां हैं आजाद !
कहो इन्कलाब जिंदाबाद ।
                         
                     
                   
                       

सोमवार, 16 सितंबर 2019

#ई.वी.रामास्वामी पेरियार

हे ई वी रामास्वामी पेरियार ,
  तुम पाखंड को करते तार तार।
    मानवता के तुम जीवंत प्राण,
       करते अंधविश्वासों पर तुम प्रहार।
           तुम संघर्षों के पथ आगे चलते,
            तर्कों से करते सत्य उजागर ।
              नव भारत के नव सृजन का तुम,
                अभिनंदन करते शीश झुकाकर।
तुम कहते क्यों जुल्म सहते हो,
       पाखंड भरे मनु ग्रंथ पढ़ते हो।
         पत्थर को नतमस्तक हो करके,
          तुम क्यों शीश झुकाया करते हो।
             जाति धर्म की पोषित गैर बराबरी,
                 हैं मानव विकास की बाधाऐं।
                  ईश्वर का आडम्बर रचकर लिख दी,
                    काल्पनिक पुराणों की गाथाऐं।
शिक्षित हो तो तर्क करो तुम ।
    इन्सानों में न कभी फर्क करो तुम।
        केवल कर्म ही पूजा है यहां,
          निज हक के लिए संघर्ष करो तुम।
             तुम निर्भय हो तुम अमर हो,
                अवरोध मुक्त जीवन सफर हो।
                  अग्निमय संकल्प ले कर बढ़ो,
                    तुम पर पाखंडी का असर न हो।

गुरुवार, 12 सितंबर 2019

समाजसेविका आनन्दी देवी

समाज में बहुत सारे ऐसे पुरुष एवं महिलाऐं होती हैं जिनकी समाज सेवा को लोग निरन्तर याद करते हैं।अपने आस-पास यदि हम झांकें तो हमें ऐसे बहुत से नाम सुनने को मिलेंगे जिनमें समाज सेवा का जज्बा कूट कूट कर भरा था।जिनकी शिक्षा,दीक्षा,नेतृत्व ,मार्ग दर्शन शोषित समाज के लिए जो कभी वरदान रही,लेकिन उनका इतिहास आज भी अन्धेरे में बिखरा हुआ है।आजआवश्यकता है कि हम समाज के ऐसे समाजसेवी लोगों के इतिहास को खोजें और उन्हें प्रकाश में लायें।जो समाज के लिए प्रेरणा स्रोत तथा आदर्श रहे हों। जिनकी बातों को लोग मानते हों जिनके मार्गदर्शन पर लोगआगे बढते रहे हों। ऐसे लोगों की हमेशा हमको  जरूरत होती है ।उनसे हमारी आस्था जुड़ती है,और हम विकास की राह के लिए प्रेरित होते हैं।समाज में व्याप्त भेदभाव को दूर करने,आपस में भाई-चारा बनाने में कई लोगों ने समाज में महान काम किये।कुछ लोग सामाजिक बुराइयों के खिलाफ़ खड़े हुए कुछ लोग समाज के कमजोर वर्ग के मौलिक अधिकारों के लिये आगे आए उन्होंने  भूमिहीनों के लिए भूमि की लडाई लडी।ऐसे ही समाजसेवियों में एक जाना माना नाम था समाजसेविका आनन्दी देवी ।
       
तल्ला विरलगांव सल्ट स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व.हरकराम आर्य जी व हीरा देवी की सात संतानें थी।आनन्दी इनकी दूसरी संतान थी। आनन्दी का जन्म 8 सितम्बर सन्1926 को हुआ।एक कन्या के बाद यह दूसरी कन्या थी।आनन्दी अपने माता-पिता की दूसरी संतान थी।हरकराम जी सामाजिक सरोकार से जुड़े रहते थे।समाज में बहुत सारी कुरीतियां व्याप्त थी।कुरीतियों के कारण समाज विकृत था।शिक्षा का प्रचार प्रसार नहीं था।लड़कियों को स्कूल बहुत कम भेजा जाता था ।छोटी उम्र में ही शादी हो जाती थी।शिल्पकारों की सामाजिक आर्थिक राजनैतिक स्थिति अच्छी नहीं थी ये गुलामों के भी गुलाम थे।आनन्दी को घर पर  सभी आनुली के नाम से पुकारते थे।आनुली की प्राथमिक शिक्षा कफल्टा स्कूल में हुई ।केवल कक्षा तीन तक ही उनकी शिक्षा हुई।दस बारह साल की उम्र में उनका विवाह हो गया।इनका दाम्पत्य जीवन बडा कष्टकारी रहा केवल चार साल तक ही गृहस्थ जीवन निर्वाह कर सकी ।उसके बाद जीवन का संघर्ष प्रारंभ हुआ।उन दिनों कांग्रेस का खूब आन्दोलन हुआ करता था ।इनके पिता स्व.हरकराम आर्य समाज के प्रभाव में आगये ,और वे कांग्रेस के भी सदस्य हो गये।घर पर आर्यसमाजियों का आना जाना रहता था।इस बात का आनंदी के जीवन पर भारी प्रभाव पड़ा वे निर्भीक निडर तो थी ही उनका साहस और द्विगुणित हो गया। सन् 1942में जब इनके पिता जी स्वतंत्रता आन्दोलन में जेल चले गए तो घर की देखभाल वह स्वयं करती।उनके ताऊ कली राम खेती पाती का काम करते थे आनंदी पुरोहित का काम स्वयं करती थी।

आजादी के बाद 1949में आनन्दी देवी ने दायी प्रशिक्षण अल्मोड़ा से किया।कुछ समय काम करने के बाद यह काम छोड़ कर दिल्ली चली गयी ।इन्हें समाज सेवा के प्रति असीम लगाव होने से कारण सामाजिक सरोकारों से जुडती गयी।जयानन्द भारती तथा उनके साथियों के साथ उन्होंने गढवाल में स्कूल खोले शिल्पकार बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया।डोला पालकी आंदोलन को प्रोत्साहित किया ।बाल विवाह ,छुआछूत जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ वे मुखर हुई और कुरीतियों का विरोध किया।आर्यसमाज का प्रचार-प्रसार किया।इन्होंने मजगांव के बचीराम गुसांईराम हरकराम अनेक आर्य समाजी कार्य कर्ताओं के साथ काम करते हुए भिक्यासैन में आर्य समाज मंदिर की स्थापना की।रानीखेत भिक्यासैन अनेक स्थानों पर स्थापित मंदिरों में दी जाने वाली पशु बलि का विरोध किया।आर्यसमाज मंदिर भिक्यासैण की जीवनपर्यंत अध्यक्ष रही।
सन् 1960 में जवाहरलाल नेहरू से मुलाकात की।बाबू जगजीवन राम जी से शिल्पकारों की सामाजिक स्थिति के बारे में उनके आर्थिक विकास के लिए काम करती थी ।सन् 1966में आपने श्रीमती इंदिरा गाँधी से मुलाकात की।भूमि हीनों की समस्या को निरन्तर संबंधित मंत्रियों व अधिकारियों से निराकरण करने बाबत कहती रही हैं।
  सन्  1974 में सुन्दरखाल में पर्वतीय भूमि हीन शिल्पकार समिति गठित कर आन्दोलन चलाया। गोठ खत्ते टौगिया आदि वनग्राम समस्याओं के बारे में मा0नारायण दत्त तिवारी मा0 हेमवती नन्दन बहुगुणा  मा0 बल्देवसिंह आर्य से समस्याओं के समाधान के लिए मिले।
   


9 मई सन् 1980 को कफल्टा कांड ने इन्हें बहुत आहत किया तब आनंदी देवी दिल्ली में थी।आनन्दी देवी ने हिम्मत नहीं हारी।जघन्य हत्याकांड के लिए न्यायिक जांच की कार्यवाही की पहल की उच्च न्यायालय से केस को उच्चतम न्यायालय में अपील कर न्याय के लिए संघर्ष किया। भिक्यासैण से दिल्ली जाते वक्त रामनगर श्री मथुरा प्रसाद टम्टा एसओ साहब के निवास में रुकी  भिक्यासैन मेें  गिर जाने के कारण पैर में चोट आने के कारण चलने-फिरने में असुविधा हो रही थी ।दिल्ली जा कर किसी विवाह समारोह में सम्मिलित होना था ,3 मई 1999 की घटना है कि विवाह समारोह मेें सामिल होनेे के लिए जब वे सड़क पार कर रही थी तो रास्ता पार करते समय दुर्घटना घट गई आपने मेंअन्तिम सांस ली।आपके जाने बहुत दुख परिवार को हुआ ।आपकी प्रेरणा व आशीर्वाद हमारे साथ सदा रहे ।आपको नमन करते हैं।

बुधवार, 11 सितंबर 2019

#अशोजक दिन (22)

अशोजक दिन कामक चुट,
थाकि जानी हमर हाथखुट
काम पारि जुटी मैंस हैंणि, 
बस एक घुटुक चहा चैंछ।
धान बतौहैंणि हवा चैंछ।
बिमार पड़ गय दवा चैंछ।
भट,गहत,मास,मडू झुंगर,
कतुक भौल छा इनर दगड़।
रत धानुक खुशबू क्य भौल-
ठंगरों पारि ककड़क फुल्यड़।
चार दिनक य रौंस य तौस कैं,
फिरि यकल पराणि चहा रैंछ।
धान बतौ हैंणि हवा  चैंछ।
बिमार पड़ौ तब दवा चैंछ ।

सोमवार, 9 सितंबर 2019

#बेहाल रामनगर

  • रामनगर का हाल बेहाल है।सड़कों पर अतिक्रमण, आये दिन जाम, रोडवेज का खस्ताहाल, कंडी मार्ग का अधर में लटका सवाल।जबकि रामनगर कुमाऊं गढवाल का प्रवेश द्वार है, यही नहीं यह कार्बेट पार्क के निकट होने के कारण " कार्बेट नगर" के नाम से अपनी पहचान बनाने के लिए,समस्याओं के लिए जूझ रहा है।समस्याऐं इतनी हैं कि किसी समस्या का समाधान ही नहीं निकल पा रहा है।उत्तराखंड बने उन्नीस साल हो गए।समृद्धिशाली व खुशहाल उत्तराखंड बनाने के संकल्प को भूल कर आज हम अपने स्वार्थों में डूब गये हैं ।आन्दोलनकारी शहीदों की कुर्बानियों को भूल गए हैं।अब हर कोई राजनीतिक धुरंधर कोरी बयान बाजी करते हैं,और इसी से चुनाव जीत लेते हैं। उनकी लफ्फाजी आम जनता को भारी पड़ती है।रामनगर का बस अड्डा खुलेआम कितना हमारा उपहास करता है हमें थोड़ी भी शर्मिंदगी महसूस नहीं होती ।
   
 कंडी मार्ग माननीय मुख्यमंत्री महोदय की घोषणा के बाद भी अधर में लटक रहा है, सपने अच्छे  तो लगते हैं पर जब वे पूरे नहीं होते तो बहुत कष्ट कारी होते हैं।जनता वैधानिक परिस्थितियों को नहीं जानती,तकनीकी कारणों को नहीं जानती वह सीधी सादी और बहुत  भोलीभाली होती हैं ।वहअपने लिए मूलभूत सुविधाऐं चाहती हैं जो उनके मौलिक अधिकार हैं।तकनीकी कारणों का हवाला दे कर नेताओं द्वारा  जनता को बेवकूफ नहीं तो और क्या बनाया जा रहा है।पानी विजली सड़क शिक्षा हर क्षेत्र में समस्याओं का अम्बार है।ऐसा नहीं कि सरकार इन समस्याओं से अनभिज्ञ हों लेकिन चुनावी गणित की चुनौती हर बार खड़ी हो जाती है। नेता क्या करे सरकार का कैसे विरोध करे।शहर में जाने-माने कई बुद्धिजीवी नेता पत्रकार सामाजिक सरोकार रखने वाले समय-समय पर सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाते हैं ,परन्तु कोई उनकी बात नहीं सुनता।वे हार नहीं मानते,निरन्तर अपना प्रयास करते रहते हैं ।उनके प्रयास के उस जज्बे को सलाम करता हूँ।जनता उनकी प्रसंशक है उन पर विश्वास करती है परन्तु पता नहीं जब चुनाव का वक्त आता है तो वही जनता रास्ता बदल देती है।लोगों का मौन रहना ,संघर्षशील साथियों के साथ खड़ा न होना उनकी यह कमजोरी रामनगर के खस्ताहाल होने का एक कारण है।
       

रामनगर विधानसभा क्षेत्र में लगभग चौबीस वन ग्राम अपनी-अपनी मूल भूत सुविधाओं के लिए आज भी तरस रहे हैं ।कई तो ऐसे वन ग्राम हैं जो टोंगिया और खत्तों से परिभाषित हैं ।चुनाव के समय मात्र चर्चा और आश्वासन के बाद उनका परिणाम शून्य मिलता है।वन्यजीवों से मानव संघर्ष की कई बारदातें हुई कई जानें गई हैं ।प्राकृतिक आपदाओं का दंश भी की गांव के लोग झेल चुके हैं।ऐसे पीड़ित वन गांव चुक्कम और सुन्दरखाल को विस्थापित करने के कई बार घोषणाऐं भी हुई पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। 

शुक्रवार, 6 सितंबर 2019

#आशीर्वचन

कु  सुम पर्याय कोमल की,
      कोमलता बनीं रहे तुममें।
       खुशबू से महक जाओ,
       खुशियाॅ छलक जाए तुममें।
शा  न हो उत्तम कि ललचाए,
      देख कर हर एक  प्राणी।
      सदा सर्वगुण सम्पन्न हो जाओ.
       तुम सर्वश्रेष्ठ कल्याणी।
ग्री   ष्म,वर्षा,शरद ऋतु का,
      तुम्हारा हर सुखद पल हो।
     प्रिय कुशाग्री! आशीष !
      तुम्हारा जीवन उज्ज्वल हो।

कांटों से डरो नहीं

फूलों का गर शौक हैतो  काटों से डर कैसा। इरादा मजबूत हैतो  ख्याल ये मुकद्दर कैसा। कभी धूप कभी छांव रहा करती जिन्दगी में, साथ न हो हमसफ़र का त...