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सोमवार, 9 सितंबर 2019

#बेहाल रामनगर

  • रामनगर का हाल बेहाल है।सड़कों पर अतिक्रमण, आये दिन जाम, रोडवेज का खस्ताहाल, कंडी मार्ग का अधर में लटका सवाल।जबकि रामनगर कुमाऊं गढवाल का प्रवेश द्वार है, यही नहीं यह कार्बेट पार्क के निकट होने के कारण " कार्बेट नगर" के नाम से अपनी पहचान बनाने के लिए,समस्याओं के लिए जूझ रहा है।समस्याऐं इतनी हैं कि किसी समस्या का समाधान ही नहीं निकल पा रहा है।उत्तराखंड बने उन्नीस साल हो गए।समृद्धिशाली व खुशहाल उत्तराखंड बनाने के संकल्प को भूल कर आज हम अपने स्वार्थों में डूब गये हैं ।आन्दोलनकारी शहीदों की कुर्बानियों को भूल गए हैं।अब हर कोई राजनीतिक धुरंधर कोरी बयान बाजी करते हैं,और इसी से चुनाव जीत लेते हैं। उनकी लफ्फाजी आम जनता को भारी पड़ती है।रामनगर का बस अड्डा खुलेआम कितना हमारा उपहास करता है हमें थोड़ी भी शर्मिंदगी महसूस नहीं होती ।
   
 कंडी मार्ग माननीय मुख्यमंत्री महोदय की घोषणा के बाद भी अधर में लटक रहा है, सपने अच्छे  तो लगते हैं पर जब वे पूरे नहीं होते तो बहुत कष्ट कारी होते हैं।जनता वैधानिक परिस्थितियों को नहीं जानती,तकनीकी कारणों को नहीं जानती वह सीधी सादी और बहुत  भोलीभाली होती हैं ।वहअपने लिए मूलभूत सुविधाऐं चाहती हैं जो उनके मौलिक अधिकार हैं।तकनीकी कारणों का हवाला दे कर नेताओं द्वारा  जनता को बेवकूफ नहीं तो और क्या बनाया जा रहा है।पानी विजली सड़क शिक्षा हर क्षेत्र में समस्याओं का अम्बार है।ऐसा नहीं कि सरकार इन समस्याओं से अनभिज्ञ हों लेकिन चुनावी गणित की चुनौती हर बार खड़ी हो जाती है। नेता क्या करे सरकार का कैसे विरोध करे।शहर में जाने-माने कई बुद्धिजीवी नेता पत्रकार सामाजिक सरोकार रखने वाले समय-समय पर सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाते हैं ,परन्तु कोई उनकी बात नहीं सुनता।वे हार नहीं मानते,निरन्तर अपना प्रयास करते रहते हैं ।उनके प्रयास के उस जज्बे को सलाम करता हूँ।जनता उनकी प्रसंशक है उन पर विश्वास करती है परन्तु पता नहीं जब चुनाव का वक्त आता है तो वही जनता रास्ता बदल देती है।लोगों का मौन रहना ,संघर्षशील साथियों के साथ खड़ा न होना उनकी यह कमजोरी रामनगर के खस्ताहाल होने का एक कारण है।
       

रामनगर विधानसभा क्षेत्र में लगभग चौबीस वन ग्राम अपनी-अपनी मूल भूत सुविधाओं के लिए आज भी तरस रहे हैं ।कई तो ऐसे वन ग्राम हैं जो टोंगिया और खत्तों से परिभाषित हैं ।चुनाव के समय मात्र चर्चा और आश्वासन के बाद उनका परिणाम शून्य मिलता है।वन्यजीवों से मानव संघर्ष की कई बारदातें हुई कई जानें गई हैं ।प्राकृतिक आपदाओं का दंश भी की गांव के लोग झेल चुके हैं।ऐसे पीड़ित वन गांव चुक्कम और सुन्दरखाल को विस्थापित करने के कई बार घोषणाऐं भी हुई पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। 

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