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सोमवार, 30 दिसंबर 2019

#बाबा साहेब--कुमाऊनी गीत(15)

जय जय जय भीम राव,अमर है जया भीमराव ।

बखत पै जगै मुच्छ्याव,और तुमुल लगै हुक्याव।
हमों कैं दिखाइ उज्याव,अमर है जया भीम राव।
जय जय जय भीम राव।
जय जय जय भीम राव।

चौदअप्रैल जनम महू में,राष्ट्रभक्ति तुमर लहू में।
बहुजनोंक है गया ग्वाव,अमर हैजया भीम राव।
जय जय जय भीम राव। 
जय जय  जय भीम राव। 

राम जी राव भीमा बाई,नन छना य छोड़िगे माई।
तुमूपै बुआली किटऔंगाव,अमर है जया भीमराव।
जय जय जय भीम राव।
जय जय  जय भीम राव। 

नन छना स्कूल गया,लिखण पढ़णअघिल रया।
कर गया सबुकैं चितौव,अमर है जया भीम राव।
जय जय जय भीम राव।
जय जय जय भीम राव। 

पढ़ण लिखण में होशियार,छिया महान शिल्पकार। 
भौत सह गया तुम भेदभाव।अमर है जया भीमराव।, 
जय जय जय भीमराव।
जय जय जय भीम राव ।

शिक्षा लिजी विदेश गया,ज्ञान विज्ञान गुणि ल्यया।
तुमर गुणोंक पडों प्रभाव,अमर है जया भीम राव।
जय जय जय भीमराव।
जय जय जय भीम राव।

बताइ तुमुल यूं तीन मंत्र,मजबूत हौय लोकतंत्र।
जगै गया नई मुच्छ्याव,अमर है जया भीमराव।
जय जय जय भीम राव।
जय जय जय भीम राव । 

सम्विधान तुमुल ल्यखौ,तबै हमुल दुनी द्यखौ।
मिटै गया सारै अभाव।अमर है जया भीमराव।
जय जय जय भीम राव।
जय जय जय भीम राव। 






#सावित्री बाई फुले(16)

महिला श्रृंगार छू ,महिला जगी अंगार छू।
महिला मां शक्तिपीठ,महिला प्रतिकार छू।
महिला छू शिक्षिका,महिला महा संरक्षिका।
महिला जन्म दायिनी महिला सदा सुरक्षिता।
महिलाभलि सेविका महिला ठुलि शिक्षिका। 
नाम प्रथम शिक्षिका सावित्री बाई फुले का।

रविवार, 29 दिसंबर 2019

#नव वर्ष की सुप्रभात (35)

हैं मंगलकामनाऐं आपको,
नव वर्ष की सुप्रभात हो। 
स्वतंत्रता समानता का,
जन गण में नव संवाद हो।

कोई बंचित न रहे न्याय से,
सबको ही सम्मान मिले।
समतामय बन्धुत्व लेकर,
 मानवता अभियान चले।

मिटाकर सब संकीर्णताऐं,
नव वर्ष की सुप्रभात हो।
तोड़कर बन्धन कलुषित,
ढहर एकआदमीआजाद हो।
       
सत्कर्म पथ पर अग्रसर सब,
 हर व्यक्ति समृद्धिशाली हो।
  हो राष्ट्र उन्नतिके शिखर पर,
हर तरफ देश में खुशहाली हो।
     
हैं मंगलकामनाऐं आपको।
नव वर्ष की सुप्रभात हो ।

गुरुवार, 26 दिसंबर 2019

#इजा(18)

इज ज्यौनजियक आधार छा।
 इज लिबै सुखी परिवार छा।
  इज छा, तौ बार त्योहार छा।
   इज लिबै य दुनी संसार छा।
       सब जग भ्यार-भतेर,आर-पार,
        मान-सम्मान,एतिआदर सत्कार ।
         उंण कुंण,बट-घट ,सब गौं गाड़ -
           इजै लिबैजी छा एति ,खूब उदंकार।
               इजै लिबेर छा हमरि दुनी संसार, 
               हमुकैं उनिकै देई छैं य संस्कार।
                इज पारि एति कैक नि आनि अन्वार।
                 इजैकि महिमा छा सदाअपरम्पार।
इज आश छा,अटूट विश्वास छा।
 सक सकानि मनक निशाश छा।
  ह्यौंन में चटक घामैंकि ताति जसि,
   गूड़क कटक दगै चहा गिलास छा।
          मडुवा र् वट पिनाउक साग,
            भटुक डुबुक, झुंगरक भात छा।
             खीर, लापैसि,छोउ, कसार ,
              इजै हाथोंक स्वाद औरी बात छा।
                    हाकक मंतर जुकै दवा इज-
                     ब्या काजोंक सगुनआंखर छा।
                      अणी जणी पौंण पछि ईष्ट मित्र,
                        अपणि इज गागर में सागर छा।
इज जात न पात हमरि थात छा। 
  उ समाज राष्ट्रीय एकता बात छा।
     दूदक घटाक बुलाण दुदबोलि ,
        बराबरीक क्या भल संवाद छा।

      जी रहे इजा तू खूब दड़ मोटि रहे।
        अपण आशीर्वाद हमुकैं दिनैं रहे।
           ज्ञान विज्ञान भाषा दुनी कतू रचिल,
             पर हम सब त्यर रहोंल त्यरै पछिल।
               इजा तू अघिलअघिल हिटनै रहे।
                 कान पकडि दुदबोलि सिखानै रहे।        



बुधवार, 25 दिसंबर 2019

#क्य नयीं क्य पुराण(19)












यूं दिन,महैंन,सालों कैं,
लैंरों हम गठ्यांण पारि।
बची छोंआजतक एति,
हम नयीं पुराणों पारि।

मैंस कस -कसआय,
पर सनातन क्वे निरहय।
क्वे काम करि गय, 
क्वे क्वर फसक मारिगय।

गीत पैली जो नई हैनी,
 उ भोव पुराण है जानी।
देखनै देखनै बखत कैं, 
लोग तिथांण नै जानी।

बखतकआंखर जालि बांच,
बखत जालि जांच। 
ऊ दुनी में बखतक 
अपणि पछ्याण धरि जांछ।

तुम नयीं साल भेटनै रया,
भल स्वींण देखनैं रया। 
तंदुरुस्त सुखी रया,
घर समाज में पूजनीय रया।
 
क्य नयीं क्य पुराण,
जो भौल-भौल वी समांण।
नौं साल हम सबुलै नवांण,
पुराण सबुलै तपांण।

आओ  सब मिलिबेर आज,
खितखित कनैं हंसि ल्युल।
भोव जब कुतक्याइ लागलि,
तब दगडियों कैं याद कुल।

हम सब इसकै आज भोव,
 कनै दिन काटनैं रहौंल।
दिन महैन साल रोजअपण ,
आंगुव में गणनै रहौंल।


सोमवार, 23 दिसंबर 2019

#अभिनन्दन(पी )

"""""""अभिनन्दन """"
नया साल !नये विचारों का अभिनंदन ।
जन गण के नये संस्कारों का अभिनंदन ।

सुबह होती रहेगी, शाम ढलती रहेगी।
हम दिन गिनते रहेंगे, उम्र बनती रहेगी।
सुबह-शाम का, यही सिलसिला रहेगा।
दिवस मास,ये साल से जाकर मिलेगा।

नया साल बनकर ,नयी सुबह आयेगी।
स्वागत में मधुरिम,ये खुशी छा जायेगी।
यूं ही सुबह होगी ,शाम भी ढलती रहेगी।
हम दिन गिनते रहेंगे,  उम्र बनती रहेगी।

नये साल पर, सुबह नये सपने देखेगी।
जीवन को अपने ,वो खुद ही सजायेगी। 
इन गुजरे दिनों की, ये उतरे सपनों की।
उन किताबों में, अपनी कहानी लिखेगी।

यूं ही रोज सुबह, तो शाम ढलती रहेगी।
अपनी सुख-दुख भरी, उम्र बनती रहेगी। 
कल नये साल की ,नई किरणआयेगी। 
नागरिकों की नई, एक तकदीर लायेगी। 

नये साल पर, दुनिया अभिनन्दन करेगी। 
प्रजातंत्र में ,जन -जन का वन्दन करेगी।
यूं ही जिन्दगी में,सुबह शाम होती रहेगी।
अपनी सुख दुख भरी,उम्र बनती रहेगी। 

चलो पल दो पल,हम जिन्दगी को जी लें।
प्यार के अक्षरों से एक परिभाषा बना लें।
मेरा राष्ट्र मुझको,अपने प्राणों से प्यारा रहे।
हमेशा विश्व के राष्ट्रों में, मेरा राष्ट्र न्यारा रहे।

नये साल पर नये विचारों का अभिनंदन ।
जन गण के नये संस्कारों का अभिनंदन ।


 
 

रविवार, 22 दिसंबर 2019

#भूली बिसरी यादें(@)

उनको देखकर दिल मचलने लगा।
मिलन का सिलसिला चलने लगा।
मजबूर इतना क्यों हो गया ये दिल,
कदम उनके घर तक बढ़ाने लगा।

मुलाकातों का ए सिलसिला रहा।
कभी घर कभी बाहर मिलता रहा।
मेरी सीमाएं मर्यादित रही बदस्तूर,
पर हाथों से वक्त निकलता  रहा।

जिन्दगी का सफर बड़ा अजीब है।
दूर  रहकर भी वो इतना करीब है।
कितना ही ऐशो-आराम मिल जाय,
प्रेम के बिना यहां हर एक गरीब है।

अगर दिलों में  किसी का प्यार है।
कभी मोड़ पर मिले वो उपहार है।
नजरअंदाज न कर पायेंगी नजरें,
दिलों में जिनके बेइन्तिहा प्यार है।


शनिवार, 21 दिसंबर 2019

#पहचानिए(@


कौन है येआज यहां,जो घर जला रहा।
जनतंत्र के इस राष्ट्र की जड़ हिला रहा।
वो कोई राष्ट्रभक्त,हमारा हो नहीं सकता, 
पहचानिए उसे जो प्रेममें बिष मिला रहा। 
कोई सांप नाथ है यहां कोई नाग नाथ है।
अपने ही घर में आज भी कोई अनाथ है।
शब्दों के जाल में ये जो उनको फंसा रहा,
पहचानिए वो मदारी जो उनको नचा रहा। 
यहां राज भी उसीका है ताज भी उसीका।
ये सरकार बन गई तो हमराज भी उसीका।
उसी की सोच से बना वो विधान रोक लो।
दंगाइयों का यह नासूर अभियान रोक लो।
यह संविधान राष्ट्र का भीम राव ने बनाया।
समता स्वतंत्रता बन्धुत्व ये रास्ता दिखाया।
यदि भेदभाव की किसी से  कोई खता हो।
उसको सजा मिले जो सबसे बड़ी सजा हो।
नागरिक भारत के हैं स्वराष्ट्र की कसम हमें।
बलिदान राष्ट्र के लिए है निभानी रशम हमें।
चाल है दुश्मन की ये भारतवर्ष कमजोर हो।
घरों को जो जला रहा पहचानिए गद्दार को । 
भारत मेरा,मैं भारतीय सब में  संस्कार  हो।
न होअनाथ वंचित समतामूलक परिवार हो।
संविधान के विरोध में जो कोई  सरकार हो।
अपना विरोध दर्ज बदल दीजिए सरकार को।

 

शुक्रवार, 20 दिसंबर 2019

#विमर्श***(39)


अक्षर तराशने हैं,
शब्द कुछ तलाशने हैं।
हो रहा विमर्श जो,सत्यार्थ कुछ जानने हैं।
रंग रूप वेश भाषा हैश्रेष्ठता अखंडता की।
अभी तो विमर्श बाकी,हैअभी संघर्ष बाकी।

धर्म का उठता बवंडर,आस्थाओं का समन्दर।
संस्कारों के भंवर में,तू मत भटक इधर-उधर।
विशालता हृदय में हो तूआरती उतार मां की।
अभी तो विमर्श बाकी है अभी संघर्ष बाकी ।

पाखंड भरा धर्म क्यों,उदंड भरा कर्म क्यों।
शील का श्रृंगार है पथप्रशस्त में शर्म क्यों।
स्वच्छंद चित श्रेष्ठ में प्रवाहशील ज्ञान की।
अभी है विमर्श बाकी हैअभी संघर्ष बाकी।

मानवता श्रेष्ठ धम्म है संविधान श्रेष्ठ ग्रंथ। 
सहिष्णुता फूले फले वही तो हैश्रेष्ठ पंथ ।
उठो अभय बढे चलो राह है ये न्याय की।
है अभी विमर्श बाकी है अभी संघर्ष बाकी।

शिल्पकार बुद्ध है  चित्त उसका शुद्ध है ।
उसने किया जो सृजन वो बड़ा विशुद्ध है।
राह में खड़ा वह इन्तजार में कारवां की।
है अभी विमर्श बाकी है अभी संघर्ष बाकी ।

गुरुवार, 19 दिसंबर 2019

#कोलाहल ***(40)

हर तरफ कोलाहल क्यों हो रहा है।
आदमी फुटपाथ पर क्यों सो रहा है ?
           हर तरफ लगी है आग  शहर में,
            फंसे हुए हैं लोग किसी भंवर में।
             हो रहा आतंक आदमी कांप रहा, 
             बाहरी दुश्मन कमजोरी भांप रहा।
जगाओ उसआदमी को जो सो रहा है, 
शहर में क्यों अपना ईमान खो रहा है ।
             नागरिकता संशोधन बिल खास हुआ, 
               संसद के दोनों सदनों में पास हुआ ।
                धर्म निरपेक्षता पर भारत निराश क्यों 
                   संसद में प्रजातंत्र का उपहास क्यों ।
सरकार के पास था यहां प्रचंड बहुमत ,
और समय के साथ था सबकुछ सहमत ।
              फिर क्यों यहांशहर में ऐसा बबाल हुआ ।
                सरकार का क्यों ऐसा बुरा हाल हुआ ।
                  समय की है यह चेतावनी आज हमको ।
                   सम्मान दीजिए हर एक नागरिक को ।
इस तरह कानून बनाने से क्या फायदा है।
लाभ कुछ भी नहीं हो नुकसान ज्यादा है।


कांटों से डरो नहीं

फूलों का गर शौक हैतो  काटों से डर कैसा। इरादा मजबूत हैतो  ख्याल ये मुकद्दर कैसा। कभी धूप कभी छांव रहा करती जिन्दगी में, साथ न हो हमसफ़र का त...