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सोमवार, 23 दिसंबर 2019

#अभिनन्दन(पी )

"""""""अभिनन्दन """"
नया साल !नये विचारों का अभिनंदन ।
जन गण के नये संस्कारों का अभिनंदन ।

सुबह होती रहेगी, शाम ढलती रहेगी।
हम दिन गिनते रहेंगे, उम्र बनती रहेगी।
सुबह-शाम का, यही सिलसिला रहेगा।
दिवस मास,ये साल से जाकर मिलेगा।

नया साल बनकर ,नयी सुबह आयेगी।
स्वागत में मधुरिम,ये खुशी छा जायेगी।
यूं ही सुबह होगी ,शाम भी ढलती रहेगी।
हम दिन गिनते रहेंगे,  उम्र बनती रहेगी।

नये साल पर, सुबह नये सपने देखेगी।
जीवन को अपने ,वो खुद ही सजायेगी। 
इन गुजरे दिनों की, ये उतरे सपनों की।
उन किताबों में, अपनी कहानी लिखेगी।

यूं ही रोज सुबह, तो शाम ढलती रहेगी।
अपनी सुख-दुख भरी, उम्र बनती रहेगी। 
कल नये साल की ,नई किरणआयेगी। 
नागरिकों की नई, एक तकदीर लायेगी। 

नये साल पर, दुनिया अभिनन्दन करेगी। 
प्रजातंत्र में ,जन -जन का वन्दन करेगी।
यूं ही जिन्दगी में,सुबह शाम होती रहेगी।
अपनी सुख दुख भरी,उम्र बनती रहेगी। 

चलो पल दो पल,हम जिन्दगी को जी लें।
प्यार के अक्षरों से एक परिभाषा बना लें।
मेरा राष्ट्र मुझको,अपने प्राणों से प्यारा रहे।
हमेशा विश्व के राष्ट्रों में, मेरा राष्ट्र न्यारा रहे।

नये साल पर नये विचारों का अभिनंदन ।
जन गण के नये संस्कारों का अभिनंदन ।


 
 

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