यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 21 दिसंबर 2019

#पहचानिए(@


कौन है येआज यहां,जो घर जला रहा।
जनतंत्र के इस राष्ट्र की जड़ हिला रहा।
वो कोई राष्ट्रभक्त,हमारा हो नहीं सकता, 
पहचानिए उसे जो प्रेममें बिष मिला रहा। 
कोई सांप नाथ है यहां कोई नाग नाथ है।
अपने ही घर में आज भी कोई अनाथ है।
शब्दों के जाल में ये जो उनको फंसा रहा,
पहचानिए वो मदारी जो उनको नचा रहा। 
यहां राज भी उसीका है ताज भी उसीका।
ये सरकार बन गई तो हमराज भी उसीका।
उसी की सोच से बना वो विधान रोक लो।
दंगाइयों का यह नासूर अभियान रोक लो।
यह संविधान राष्ट्र का भीम राव ने बनाया।
समता स्वतंत्रता बन्धुत्व ये रास्ता दिखाया।
यदि भेदभाव की किसी से  कोई खता हो।
उसको सजा मिले जो सबसे बड़ी सजा हो।
नागरिक भारत के हैं स्वराष्ट्र की कसम हमें।
बलिदान राष्ट्र के लिए है निभानी रशम हमें।
चाल है दुश्मन की ये भारतवर्ष कमजोर हो।
घरों को जो जला रहा पहचानिए गद्दार को । 
भारत मेरा,मैं भारतीय सब में  संस्कार  हो।
न होअनाथ वंचित समतामूलक परिवार हो।
संविधान के विरोध में जो कोई  सरकार हो।
अपना विरोध दर्ज बदल दीजिए सरकार को।

 

कोई टिप्पणी नहीं:

कांटों से डरो नहीं

फूलों का गर शौक हैतो  काटों से डर कैसा। इरादा मजबूत हैतो  ख्याल ये मुकद्दर कैसा। कभी धूप कभी छांव रहा करती जिन्दगी में, साथ न हो हमसफ़र का त...