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रविवार, 22 दिसंबर 2019

#भूली बिसरी यादें(@)

उनको देखकर दिल मचलने लगा।
मिलन का सिलसिला चलने लगा।
मजबूर इतना क्यों हो गया ये दिल,
कदम उनके घर तक बढ़ाने लगा।

मुलाकातों का ए सिलसिला रहा।
कभी घर कभी बाहर मिलता रहा।
मेरी सीमाएं मर्यादित रही बदस्तूर,
पर हाथों से वक्त निकलता  रहा।

जिन्दगी का सफर बड़ा अजीब है।
दूर  रहकर भी वो इतना करीब है।
कितना ही ऐशो-आराम मिल जाय,
प्रेम के बिना यहां हर एक गरीब है।

अगर दिलों में  किसी का प्यार है।
कभी मोड़ पर मिले वो उपहार है।
नजरअंदाज न कर पायेंगी नजरें,
दिलों में जिनके बेइन्तिहा प्यार है।


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