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गुरुवार, 30 सितंबर 2021

उजाला दिखा जाता!

सुबह आता चमकता चला जाता।
सूरज  नित्य उजाला दिखा जाता।
अटल है क्रम उसकेआने-जाने का,
उसको कभी कोई नहीं मिटा पाता।

उसे देखकर सब मुस्कुराया करते।
गणित  जीवन का  लगाया  करते।
दिन रात महीने वर्षों इतिहास  के,
पन्नों में उजालों को सजाया करते।

समय के साथ हमने बह जाना है।
अपनी बात को यहां कह जाना है।
घटाओं से  घिरा सूरज भले ही हो,
नदी  को तो पिघल कर  आना है।

अवरोध न बनना किसी के राहों में।
पोंधों को पनपने दो कुछ छावों में।
गुलिस्तां खिल उठेगा इक दिन सारा, 
महकता चमन होगा हमारी बाहों में।
"""@स्नेही""



गुरुवार, 16 सितंबर 2021

स्कूल की घंटी

कितनी आनंददायिनी, 
होती थी स्कूल की घंटी -
चाहे प्रार्थना की घंटी हो,
या हो छुट्टी की घंटी ।
बेसब्री से इंतजार करते थे,
स्कूल पढ़ने वाले बच्चे।
पिछले दो साल से -
नहीं बज रही है यह घंटी।
कभी छुट्टी की घंटी का इन्तजार।
उछल कूद कर करते थे इजहार।
स्कूल के नन्हे बच्चे! 
आज पहली घंटी का इन्तजार,
तरसती निगाहों से ।
किताब पाठ्यक्रम स्कूल, 
इन शब्दों को बच्चे गये हैं भूल।
याद कराया गया है,
 शिर्फ मोबाइल।
इसी पर चल रहा है,
आधा अधूरा स्कूल।





बच्चे व खेल

नींद तभी आती बच्चों को ,
जब   वे  खेला  करते   हैं।
माँ से आँख मिचौली करके,
घर   से  निकला  करते  है।

स्कूल  हमेशा  ही जीवन  का,
सृजन का उत्तम साधन होता।
मिलते  रोज  जहाँ   सहपाठी, 
गुरु का नित्यअभिवादन होता।

समय  से  अन्जान हमारे बच्चे,
चुप- चाप  घरों   में   बैठे   हैं।
शिक्षा  की  इस  व्यवस्था  पर,
वक्त   ने  ही  कान  उमैठे   हैं। 

उठते  हुए  सवालों  का  हल,
आओ    मिलकर  खोजें  हम।
जीवन के  इस   परिवर्तन  में,
सम्यकता  की   सोचें    हम।

बच्चे राष्ट्र कीअनमोल धरोहर,
तन-मन धन सब इन पर वारें ।
अखण्ड   राष्ट्र  भारत के हित,
हम  शिक्षा  की  नीति  सुधारें।




  

रविवार, 5 सितंबर 2021

कुशाग्री

कुसुम  की हो तुम सुरभि पहचान,
सम्यकता लिए हो स्नेहिल वितान।
यह मुस्कुराना है तुम्हारी हकीकत,
तुम्हारी राह हों यूं ज्ञान से विज्ञान।

शालीनता  में तुम सदा आगे रहो,
जीवन में सदा फूल ‌‌‌‌‌‌‌‌सी मुस्कुराओ।
स्वागत करो हर पल हर खुशी का.
हर खुशी को लक्ष्य तक ले जाओ।

ग्रीष्म वर्षा शरद है ऋतु तुम्हारी हो,
जीवन में  सदा विजय  तुम्हारी हो।
मेरा आशीर्वाद मेरी सद्भावनाऐं हैं,
यह  जन्मदिन तुमको मुबारक हो।


कांटों से डरो नहीं

फूलों का गर शौक हैतो  काटों से डर कैसा। इरादा मजबूत हैतो  ख्याल ये मुकद्दर कैसा। कभी धूप कभी छांव रहा करती जिन्दगी में, साथ न हो हमसफ़र का त...