कितनी आनंददायिनी,
होती थी स्कूल की घंटी -
चाहे प्रार्थना की घंटी हो,
या हो छुट्टी की घंटी ।
बेसब्री से इंतजार करते थे,
स्कूल पढ़ने वाले बच्चे।
पिछले दो साल से -
नहीं बज रही है यह घंटी।
कभी छुट्टी की घंटी का इन्तजार।
उछल कूद कर करते थे इजहार।
स्कूल के नन्हे बच्चे!
आज पहली घंटी का इन्तजार,
तरसती निगाहों से ।
किताब पाठ्यक्रम स्कूल,
इन शब्दों को बच्चे गये हैं भूल।
याद कराया गया है,
शिर्फ मोबाइल।
इसी पर चल रहा है,
आधा अधूरा स्कूल।
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