नींद तभी आती बच्चों को ,
जब वे खेला करते हैं।
माँ से आँख मिचौली करके,
घर से निकला करते है।
स्कूल हमेशा ही जीवन का,
सृजन का उत्तम साधन होता।
मिलते रोज जहाँ सहपाठी,
गुरु का नित्यअभिवादन होता।
समय से अन्जान हमारे बच्चे,
चुप- चाप घरों में बैठे हैं।
शिक्षा की इस व्यवस्था पर,
वक्त ने ही कान उमैठे हैं।
उठते हुए सवालों का हल,
आओ मिलकर खोजें हम।
जीवन के इस परिवर्तन में,
सम्यकता की सोचें हम।
बच्चे राष्ट्र कीअनमोल धरोहर,
तन-मन धन सब इन पर वारें ।
अखण्ड राष्ट्र भारत के हित,
हम शिक्षा की नीति सुधारें।
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