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सोमवार, 28 जून 2021

मानसून

मंच -हिंदी कविता Magic of poetry 
दिनांक 28/6/2021 विषय --"मानसून "
रचयिता -एन.आर.स्नेही रामनगर नैनीताल
 उत्तराखंड 
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मानसून नहींआया अभी,मन में है सूनापन। 
गर्मी से राहत पाने को,बैठा हूँ मैं घर आंगन।

उमड़ घुमड़ कर जब,मेघ गरजता है नभ में।
बिजली के गर्जन का,वो भय रहता है सब में।

झम झम बरषते मेघ,मन मयूर नांचते मन में।
हरियाली छा जाती,खेतों और वन उपवन में।

शोर मचाने बच्चेआते,घर से बाहर गलियों में।
थोड़ी देर राहत मिलती,जानेंआती फलियों में।

धरती को हरियाली देती, मानसून  उपहारों में। 
खेतों व खलिहानों में,सुख सावन के फुहारों में।

जाओ जल्दी मानसून,झमाझम बर्षो धरती पर।
प्रकृति मेंअमरता लाओ,मानवता को धरती  पर।


रविवार, 27 जून 2021

मानसून


जून से सितम्बर तक मेरे देशवासी,
  इन्तजार करते हैं सब मानसून का।
    टकटकी लगाए बैठे है अन्नदाता, 
      कब गगन घेर लें मेघ मानसून का।
दूर पहाड़ों से मैदान तक  मेघों का,
  हाल जानने सब देखते  हैं आसमां।
    आकर जब मेघ खूब बरसने लगे,
      लोगों को लगे धरती ये खुशनुमां।
कृषि की प्रधानता हो जिस देश में,
   सिंचाई के साधनों की हो न्यूनता।
    मानसून पर निर्भर हो जहां किसान,
      कितनी कठिन है जीवन की पूर्णता।
मानसून आकर जो समय पर बरषते, 
  खुशहाल  किसान अभिनन्दन करते।
    समृद्धिशाली है  वही राष्ट्र विश्व भर में,
      जहाँ कभी भी लोग भूख से नहीं मरते।



शुक्रवार, 25 जून 2021

छत्रपति शाहू जी महाराज



सामाजिक लोकतंत्र के आधार स्तम्भ,
महानायक छत्रपति शाहू जी महाराज।
मनुवादी व्यवस्था से पीड़ित समाज के,
बहुजन नायक का जन्म दिन है आज।

जाति विहीन  समाज के पक्षधर थे जो,
आओ  चिंतन मनन स्मरण करें उनका।
अस्पृश्यता भगाओ,शिक्षा दीप जलाओ,  
ये आदर्श संकल्पों का वरण करें उनका।

ब्राह्मणवाद को देकर चुनौती बढ़े  आगे ,
बिखरे समाज को ये नई रोशनी दिखाई।
इतिहास के पन्नों में बन्द हैं जो आज भी, 
जिन्होंने स्वतंत्रता की परिभाषा बतायी।

शत् शत् नमन कोटि-कोटि हम वंदन करें।
छत्रपति शाहू जी महाराज का स्मरण करें।

गुरुवार, 24 जून 2021

वंचित

एक आदमी के पास रोटी नहीं,
   रहने को न उसके पास मकान।
     सामाजिक अधिकारों से वंचित,
       वह बेचारा है,कहाँ करे विश्राम ?

मतदाता है वो बेेेचारा है देश का,
   हाथ फैलाकर माँग रहा है भीख।
      आजादी के नाम  पर वंचित को,
       अपनी  भाषा में दे जाते हैं सीख। 

नेताजी जिनसे वोट मांगने जाते,
   उनको तो  वे कहते  हैं  मतदाता।
     जिनसे मांग- मांग  कर घर भरते,
      नेताजी बन जाते हमारे अन्नदाता। 





कांटों से डरो नहीं

फूलों का गर शौक हैतो  काटों से डर कैसा। इरादा मजबूत हैतो  ख्याल ये मुकद्दर कैसा। कभी धूप कभी छांव रहा करती जिन्दगी में, साथ न हो हमसफ़र का त...