मंच -हिंदी कविता Magic of poetry
दिनांक 28/6/2021 विषय --"मानसून "
रचयिता -एन.आर.स्नेही रामनगर नैनीताल
उत्तराखंड
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मानसून नहींआया अभी,मन में है सूनापन।
गर्मी से राहत पाने को,बैठा हूँ मैं घर आंगन।
उमड़ घुमड़ कर जब,मेघ गरजता है नभ में।
बिजली के गर्जन का,वो भय रहता है सब में।
झम झम बरषते मेघ,मन मयूर नांचते मन में।
हरियाली छा जाती,खेतों और वन उपवन में।
शोर मचाने बच्चेआते,घर से बाहर गलियों में।
थोड़ी देर राहत मिलती,जानेंआती फलियों में।
धरती को हरियाली देती, मानसून उपहारों में।
खेतों व खलिहानों में,सुख सावन के फुहारों में।
जाओ जल्दी मानसून,झमाझम बर्षो धरती पर।
प्रकृति मेंअमरता लाओ,मानवता को धरती पर।