जून से सितम्बर तक मेरे देशवासी,
इन्तजार करते हैं सब मानसून का।
टकटकी लगाए बैठे है अन्नदाता,
कब गगन घेर लें मेघ मानसून का।
दूर पहाड़ों से मैदान तक मेघों का,
हाल जानने सब देखते हैं आसमां।
आकर जब मेघ खूब बरसने लगे,
लोगों को लगे धरती ये खुशनुमां।
कृषि की प्रधानता हो जिस देश में,
सिंचाई के साधनों की हो न्यूनता।
मानसून पर निर्भर हो जहां किसान,
कितनी कठिन है जीवन की पूर्णता।
मानसून आकर जो समय पर बरषते,
खुशहाल किसान अभिनन्दन करते।
समृद्धिशाली है वही राष्ट्र विश्व भर में,
जहाँ कभी भी लोग भूख से नहीं मरते।
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