रहने को न उसके पास मकान।
सामाजिक अधिकारों से वंचित,
वह बेचारा है,कहाँ करे विश्राम ?
मतदाता है वो बेेेचारा है देश का,
हाथ फैलाकर माँग रहा है भीख।
आजादी के नाम पर वंचित को,
अपनी भाषा में दे जाते हैं सीख।
नेताजी जिनसे वोट मांगने जाते,
उनको तो वे कहते हैं मतदाता।
जिनसे मांग- मांग कर घर भरते,
नेताजी बन जाते हमारे अन्नदाता।
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