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शनिवार, 22 मई 2021

मैं भाव हूँ।

तू   बिन्दु   तो   लकीर  हूँ   मैं ।
तू   दाता  तो   फकीर  हूँ    मैं।
तू   बीज  है   तो  वृक्ष  हूँ    मैं।
तू   चक्षु है तो  दृश्य    हूँ    मैं।
तू   भाव तो   अल्फाज हूँ    मैं।
तू  संगीत तो हर साज हूँ   मैं।
तू   चित्र तो कलाकार हूँ    मैं।
तू    रोग  तो  विकार हूँ     मैं।
तू   गूंज तो  पुकार हूँ      मैं।
तू  रक्त तो तलवार हूँ      मैं।
तू अन्त तो शुरुआत हूँ    मैं।
तू मेघ तो वरषात।   हूँ     मैं।
तू  तिलक  ललाट   हूँ       मैं।
तू द्वार है तो कपाट हूँ।    मैं।
तू  दर्द तो आघात हूँ।      मैं।
तू आश तो विश्वास हूँ।     मै
तू  विचार तो संवाद हूँ।     मैं।
तू कुछ नही बकवास हूँ।    मैं।
तू सत्य है तो इतिहास हूँ।    मैं।
तुम थोड़ा तो अथाह।   हूँ       मैं।
तुम प्रकृति सम्यक भाव हूँ    मैं।
"""""""भावना कृति '""""""

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