एक नई सुबह उतर आई धरती पर।
मन प्रफुल्लित रोम रोम सिहर उठा,
वो सुबह नई किरण थी अम्बेेेडकर।
सूरज को देख नखत छुप गये सारे ,
रोशन हुआ घर अब हर आदमी का।
कुप्रथाओं का शिकार था युगों से जो,
स्वाभिमान जाग गया आदमी का।
अन्धेरों में चमकते रहे हजारों जुगनू ,
फिर भी न हुआ ये उजाला मयस्सर।
गुलामी की बेड़ियो खनकती रही,
नहीं हुई कृपा कभी वंचितों पर।
धम्म की रोशनी से विश्व जगमगाया,
बढ़ता रहा वो मानवता के पथ पर।
भीमराव ने जगाई धम्म की रोशनी,
कर गये उपकार बड़ा बहुजनों पर।
एक नया सूरज निकला आसमां में,
एक नई सुबह उतर आई धरती पर।
फैला गये धम्म व विज्ञान का परचम,
नयी सोच के बीज बो गये अम्बेेेडकर।
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