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सोमवार, 15 अगस्त 2022

स्वतंत्रता दिवस

आज अपने राष्ट्र की,आओ उतारें आरती।
स्वतंत्रता के पर्व पर,तुमको है मां पुकारती।

चोट खाई हैं बहुत ये,दिल पे सारे जख्म हैं।गुस्ताखियां दुश्मन की,मन में सारे दफ्न हैं।
अब नये युग के लिए बनना तुम्हें है सारथी।
स्वतंत्रता के पर्व पर तुमको  है मां पुकारती।

आज अपने  राष्ट्र की आओ उतारेंआरती।
स्वतंत्रता के पर्व पर तुमको है माँ पुकारती ।

जाति धर्मों की दीवारें हर तरफ हैं ये खड़ी।
गंदगी छुआछूत की भी है यहां पर ही पड़ी।
तोड़ने अवरोध होंगे आशीष दे मां भारती।
अब नये युग के लिए बनना तुम्हें है सारथी।

आज अपने  राष्ट्र की आओ उतारेंआरती।
स्वतंत्रता के पर्व पर तुमको है माँ पुकारती ।

देश भक्तों की हमेशा याद हों  कुर्बानियां।
इतिहास के पन्नों में हों,वोअमर कहानियां।
नफ़रती परिवेश में है स्वतन्त्रता कराहती।
अब नये युग के लिए बनना तुम्हें है सारथी।

आज अपने  राष्ट्र की आओ उतारेंआरती।
स्वतंत्रता के पर्व पर तुमको है माँ पुकारती ।


स्वतंत्र भारत-आलेख

हम आज स्वतंत्र भारत के नागरिक हैं।यदि
हम भारत के अतीत में जाकर झांकें तो जानेंगे कि बाहरी आक्रमणकारियों ने समय-समय पर देश को लूटा,हमें गुलाम बनाया।
दो सौ वर्षों तक भारत में ब्रिटिश हुकूमत रही।सन् 1857 से स्वतन्त्रता की  चिगारी सुलगने लगी थी फिर धीरे धीरे आजादी की आग भड़कती चली गई, भारी बलिदानों के बाद पन्द्रह अगस्त सन् 1947 को भारत आजाद हुआ। हम आज स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं।स्वतन्त्रता आन्दोलन मुख्य रूप से कांग्रेस  के नेतृत्व में आगे बढ़ा।महात्मा गांधी ,जवाहरलाल नेहरू, बाणगंगा तिलक सरदार पटेल गोपालकृष्णगोखले, चन्द्रशेखर आजाद सुभाषचंद्र बोस भगतसिंह जैसे अनेकों वीरों के नेतृत्व में आन्दोलन आगे बढ़ा,स्वतंत्रता आंदोलन में केवल नरम दल के ही नही बल्कि गरम दल के रूप में भी कई संगठन आगे आए।1942 में करो या मरो का आह्वान कर आजादी की अन्तिम जंग लड़ी गई। 15अगस्त 1947को हमारा देश
आजाद हो गया।मगर दुर्भाग्य कि चौदह अगस्त को भारत का विभाजन हो गया"भारत और पाकिस्तान।"
आज देश में जो सामाजिक आर्थिक व राजनीतिक परिदृश्य उभर कर आ रहा है वह बेहद समस्याग्रस्त है।चुनाव प्रणाली दोषपूर्ण है। चुनाव को जातीय व धार्मिक आयने से देखा जाता है।भाई भतीजाबाद परिवारवाद की तूती बोलती है।चुनाव पर बेहिसाब खर्च किया जाता है।आज की सरकार हो या पूर्ववर्ती लगभग सभी की नियत एक जैसी रही है।आज हम आजादी के पचहत्तर वर्ष पूर्ण होने पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं परन्तु जनता की समस्याओं का समाधान नहीं कर पाए हैं।समाज में स्वतन्तता समानता व बन्धुत्व कायम नहीं कर सके हैं। समाज की गैर बराबरी को देखकर दुख होता है कि समाज की ये गैरबराबरी जो हमारी गुलामी की जड़ रही है हम आज भी उसे नहीं मिटा पाये। अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों  की सामाजिक ससमस्या अअस्पृश्यता अभी तक नही मिट पाई है यह रााष्ट्र के लिए कलंक है, यदि ध्यान दिया जाता तो उनके शोषण की  घटनाऐं नहीं घद रही होती । जैसे पहले राजतंत्र पर आधारित छोटी छोटी रियासतें आपस में लड़ते रहते थे यहीी आपसी  फूट वर्षों तक  हमें अंग्रेजों के गुलाम बनाये रही। सही मायने में देखें तो आजादी का जो सपना उन क्रांति वीरों ने देखा वह सपना मात्र रह गया।जिनको भी चुनकर संसद तक ले गए पूर्वाग्रह के कारण कुछ भी परिवर्तन नहीं कर पाए।बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर जी ने संविधान सौंपते वक्त कहा था "संविधान कितना ही अच्छा क्यों न हो यदि चलाने वाले अच्छे न हों तो अच्छे संविधान का कोई औचित्य नहीं।"
"जय भारत जय संविधान "

रविवार, 14 अगस्त 2022

मृत महोत्सव



येआजादी का अमृत महोत्सव,
या मृत  महोत्सव आजादी का।
करो फैसला जन गण मन तुम,
क्या ये जश्न नहीं बरबादी  का?
हमें ऐसी आजादी नहीं चाहिए,
जहाँ द्रोण जैसा गुरु रहता हो।
ये पानी का मटका छू लेने पर,
किसी इन्द्र की हत्या करता हो।
जहां दलित कह भोजन माता ,
स्कूल में अपमानित होती हो।
घोड़ी पर चढ़कर जाता दुल्हा,
और वो बारात रोकी जाती हो।
मैं नही मानता अमृत महोत्सव,
है मृत महोत्सव आजादी का।
अब खुद फैसला करना होगा,
बहुजन को अपनी बर्बादी का।





 
 

शुक्रवार, 12 अगस्त 2022

स्वतंत्रता दिवस

आज अपने राष्ट्र की,आओ उतारें आरती।
स्वतंत्रता के पर्व पर,तुमको है मां पुकारती।

चोट खाई हैं बहुत ये,दिल पे सारे जख्म हैं।
गुस्ताखियां दुश्मन की,मन में सारे दफ्न हैं।
अब नये युग के लिए बनना तुम्हें है सारथी।
स्वतंत्रता के पर्व पर तुमको  है मां पुकारती।

आज अपने  राष्ट्र की आओ उतारेंआरती।
स्वतंत्रता के पर्व पर तुमको है माँ पुकारती ।

जाति धर्मों की दीवारें हर तरफ हैं ये खड़ी।
गंदगी छुआछूत की भी है यहां पर ही पड़ी।
तोड़ने अवरोध होंगे आशीष दे मां भारती।
अब नये युग के लिए बनना तुम्हें है सारथी।

आज अपने  राष्ट्र की आओ उतारेंआरती।
स्वतंत्रता के पर्व पर तुमको है माँ पुकारती ।

देश भक्तों की हमेशा याद हों  कुर्बानियां।
इतिहास के पन्नों में हों,वोअमर कहानियां।
नफ़रत भरे आवेग से स्वतन्त्रता कराहती।
अब नये युग के लिए बनना तुम्हें है सारथी।

आज अपने  राष्ट्र की आओ उतारेंआरती।
स्वतंत्रता के पर्व पर तुमको है माँ पुकारती ।


बुधवार, 10 अगस्त 2022

रक्षाबंधन-कविता

राखी का त्योहार आ गया,
आओ कर लें अभिनंदन।
प्रेम प्रतीक भाईबहन का,
ये पर्व हमारा रक्षा बंधन।

जाति-धर्म से ऊपर उठ के,
हों बराबरी के पर्व सभी।
स्वाभिमान के साथ खड़े हों,
जागरुक  नागरिक  सभी।

बड़ा महान है भारत  मेरा,
हर भारतवासी का वंदन।
राखी का त्योहार आ गया,
आओ  कर  लें अभिनंदन। 

अबतो भारत स्वतंत्र हो गया,
दफ्न  हो गये  राजा रानी।
उपनिवेश काल भी नहीं रहा,
अब नहीं किसी की मनमानी।

जनता ही अब राजा हो गई ,
जनता  का ही हो वन्दन।
राखी का त्यौहार आ गया,
आओ कर लें  अभिनंदन ।

सदियों से वो सुनती आई, 
बेचारी केवल अबला  है।
शोषित वंचित भले लाचारी,
परिवार उसी से संभला है।

संविधान से मिला उसे ये,
समानता का स्वर्णिम कंगन।
राखी का त्योहार आ गया,
आओ कर  लें  अभिनंदन।

राखी बांधने आज आई है, 
बहना देखो सबला बनकर।
अब कहती आत्मविश्वास से, 
बांधेंगे राखी हमसब परस्पर।

बहना को कष्ट हुआ अगर,
ये राखी याद दिलाएगी।
मुश्किल में हो भाई गर तो,
वो  बहना  दौड़े आयेगी।

भाई  बहन के हृदय में अब,
हो नव युग नव प्रेम स्पन्दन।
राखी  का त्यौहार आया है,
आओ  कर  लें  अभिनंदन। 





बुधवार, 3 अगस्त 2022

बदलता परिवेश

घर-परिवार गांव करूं बात अपने देश की।
अभिलाषा सभी की है अच्छे परिवेश की।
प्रेम हो सबके दिलों में और हो सहिष्णुता।
स्वतंत्र,खुशहाल रहें हो जीवन में संपूर्णता।

पर वक्त के साथ  सारा परिवेश बदला है।
खान-पान औरआचार- व्यवहार बदला है। 
यहां गांव  बदला खेत खलिहान  बदला है।
बार त्यौहार शादी-ब्याह श्मशान बदला है।

रिश्ते कमजोर रिश्तों में चापलूसी ज्यादा है।
रिश्वतखोर अमन चैन में भाग रहा प्यादा है।
त्यौहार में नफरत है शादी महज व्यापार है।
मां बाप आश्रमों में हैं कागजों में परिवार है।

राजनीति उनकी चली जो हैं बड़े बाहुबली।
इसीलिए पार्टियों में खूब रहती है खलबली।
धर्म जाति नाम पर लड़ते चुनाव लोग अब।
पांच साल में नेतागण  लूटना चाहते हैं सब।

बलिदानों से स्वतन्त्रता मिली हम कृतज्ञ हैं।
सामाजिक परिवेश से हम क्यों अनभिज्ञहैं।
नफ़रती हर दीवार गिरे आज ये उद्देश्य हो।
प्रबुद्ध भारत देश में ये मानवीय परिवेश हो।

मंगलवार, 2 अगस्त 2022

विजय दिवस-2

छब्बीस जुलाई जय,विजय दिवस पर,
अमर रहेगी गाथा,कारगिल वीरों की।
करते नमन आज, ताज सिर बांध कर,
लिख गये इतिहास,वीर रणधीरों की।

साठ दिन तक लड़े, खड़े हिम खंडों पर,
छाती पर मूंग दले,  बहादुरी वीरों की।
उन्नीससौ निरानब्बे,कैसेभूल जाऐं हम,
कारगिल लड़ाई में ,जीत रणवीरों की।

उग्रवादियों को जब,पाकमें पनाह मिली,
सब घुस पैठी हुए,पाकिस्तानी यारों की।
भारतीय सैनिकों ने,ठिकानोंको ढूंढलिया।
रहती थी फौज जहां,दुश्मन कायरों की। 

चुन -चुन  कर मारे,घर- घर जाके  मारे,
छोड़ी पाकसैनिकों ने,आश हथियारों की।
शहादत  देने वाले,शहीदों को नमन हो
विजय दिवस में हो,उद्घोष जैकारों की।

भारत की आन मान,शान कश्मीर है ये,
नजर है इस पर पाकिस्तानी कायरों की।
भारतीय सैनिकों की,बेमिसाल ताकत ने,
तोड़ दी कमर पूरी , पाक  के गद्दारों की।


कांटों से डरो नहीं

फूलों का गर शौक हैतो  काटों से डर कैसा। इरादा मजबूत हैतो  ख्याल ये मुकद्दर कैसा। कभी धूप कभी छांव रहा करती जिन्दगी में, साथ न हो हमसफ़र का त...