येआजादी का अमृत महोत्सव,
या मृत महोत्सव आजादी का।
करो फैसला जन गण मन तुम,
क्या ये जश्न नहीं बरबादी का?
हमें ऐसी आजादी नहीं चाहिए,
जहाँ द्रोण जैसा गुरु रहता हो।
ये पानी का मटका छू लेने पर,
किसी इन्द्र की हत्या करता हो।
जहां दलित कह भोजन माता ,
स्कूल में अपमानित होती हो।
घोड़ी पर चढ़कर जाता दुल्हा,
और वो बारात रोकी जाती हो।
मैं नही मानता अमृत महोत्सव,
है मृत महोत्सव आजादी का।
अब खुद फैसला करना होगा,
बहुजन को अपनी बर्बादी का।
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