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सोमवार, 15 अगस्त 2022

स्वतंत्र भारत-आलेख

हम आज स्वतंत्र भारत के नागरिक हैं।यदि
हम भारत के अतीत में जाकर झांकें तो जानेंगे कि बाहरी आक्रमणकारियों ने समय-समय पर देश को लूटा,हमें गुलाम बनाया।
दो सौ वर्षों तक भारत में ब्रिटिश हुकूमत रही।सन् 1857 से स्वतन्त्रता की  चिगारी सुलगने लगी थी फिर धीरे धीरे आजादी की आग भड़कती चली गई, भारी बलिदानों के बाद पन्द्रह अगस्त सन् 1947 को भारत आजाद हुआ। हम आज स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं।स्वतन्त्रता आन्दोलन मुख्य रूप से कांग्रेस  के नेतृत्व में आगे बढ़ा।महात्मा गांधी ,जवाहरलाल नेहरू, बाणगंगा तिलक सरदार पटेल गोपालकृष्णगोखले, चन्द्रशेखर आजाद सुभाषचंद्र बोस भगतसिंह जैसे अनेकों वीरों के नेतृत्व में आन्दोलन आगे बढ़ा,स्वतंत्रता आंदोलन में केवल नरम दल के ही नही बल्कि गरम दल के रूप में भी कई संगठन आगे आए।1942 में करो या मरो का आह्वान कर आजादी की अन्तिम जंग लड़ी गई। 15अगस्त 1947को हमारा देश
आजाद हो गया।मगर दुर्भाग्य कि चौदह अगस्त को भारत का विभाजन हो गया"भारत और पाकिस्तान।"
आज देश में जो सामाजिक आर्थिक व राजनीतिक परिदृश्य उभर कर आ रहा है वह बेहद समस्याग्रस्त है।चुनाव प्रणाली दोषपूर्ण है। चुनाव को जातीय व धार्मिक आयने से देखा जाता है।भाई भतीजाबाद परिवारवाद की तूती बोलती है।चुनाव पर बेहिसाब खर्च किया जाता है।आज की सरकार हो या पूर्ववर्ती लगभग सभी की नियत एक जैसी रही है।आज हम आजादी के पचहत्तर वर्ष पूर्ण होने पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं परन्तु जनता की समस्याओं का समाधान नहीं कर पाए हैं।समाज में स्वतन्तता समानता व बन्धुत्व कायम नहीं कर सके हैं। समाज की गैर बराबरी को देखकर दुख होता है कि समाज की ये गैरबराबरी जो हमारी गुलामी की जड़ रही है हम आज भी उसे नहीं मिटा पाये। अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों  की सामाजिक ससमस्या अअस्पृश्यता अभी तक नही मिट पाई है यह रााष्ट्र के लिए कलंक है, यदि ध्यान दिया जाता तो उनके शोषण की  घटनाऐं नहीं घद रही होती । जैसे पहले राजतंत्र पर आधारित छोटी छोटी रियासतें आपस में लड़ते रहते थे यहीी आपसी  फूट वर्षों तक  हमें अंग्रेजों के गुलाम बनाये रही। सही मायने में देखें तो आजादी का जो सपना उन क्रांति वीरों ने देखा वह सपना मात्र रह गया।जिनको भी चुनकर संसद तक ले गए पूर्वाग्रह के कारण कुछ भी परिवर्तन नहीं कर पाए।बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर जी ने संविधान सौंपते वक्त कहा था "संविधान कितना ही अच्छा क्यों न हो यदि चलाने वाले अच्छे न हों तो अच्छे संविधान का कोई औचित्य नहीं।"
"जय भारत जय संविधान "

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