छब्बीस जुलाई जय,विजय दिवस पर,
अमर रहेगी गाथा,कारगिल वीरों की।
करते नमन आज, ताज सिर बांध कर,लिख गये इतिहास,वीर रणधीरों की।
साठ दिन तक लड़े, खड़े हिम खंडों पर,
छाती पर मूंग दले, बहादुरी वीरों की।
उन्नीससौ निरानब्बे,कैसेभूल जाऐं हम,
कारगिल लड़ाई में ,जीत रणवीरों की।
उग्रवादियों को जब,पाकमें पनाह मिली,
सब घुस पैठी हुए,पाकिस्तानी यारों की।
भारतीय सैनिकों ने,ठिकानोंको ढूंढलिया।
रहती थी फौज जहां,दुश्मन कायरों की।
चुन -चुन कर मारे,घर- घर जाके मारे,
छोड़ी पाकसैनिकों ने,आश हथियारों की।
शहादत देने वाले,शहीदों को नमन हो
विजय दिवस में हो,उद्घोष जैकारों की।
भारत की आन मान,शान कश्मीर है ये,
नजर है इस पर पाकिस्तानी कायरों की।
भारतीय सैनिकों की,बेमिसाल ताकत ने,
तोड़ दी कमर पूरी , पाक के गद्दारों की।
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