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शनिवार, 30 जुलाई 2022

विजय दिवस -1


हमको फक्र है,वीर सैनिकों पर अपने।
शहादत  देकर भी पूरे कर गए सपने।
छब्बीस जुलाई इस विजय दिवस पर,
ज्योतिर्मय कर गये वे देश को अपने।

हमारे सैनिकों ने खाये,धोखे दुश्मन से।
और टक्कर दी दुश्मन को हमेशा उसने।
कभी आँच न आने दी अपने वतन पर,
हस्तीमिटाई दुश्मन की कारगिल में उसने।

पड़ोसी देश है पाकिस्तान, मगर दुश्मन ,
शरहदों पर करता है हमेशा विष वमन।
कारगिल में जवानों का जो रुतब देखा,
दुम दवाकर भागा अपने घर वो दुश्मन। 

हम घरों में चैन से हैं पहरेदार हैं जवान।
हाथ पर लेकर तिरंगा करते हमें सावथान।
शरहदों पे नफरत के बीज बो रहा है जो,
हमारा पड़ोसी ही है ,वह दुष्ट पाकिस्तान। 

हाथ में बन्दूक,चले तानकर सीना अपना।
कांप उठे दुश्मन,कारगिल का देख सपना।
देशके लाल जो शहीद हुए कारगिल युद्ध में,
आज उन्हे करें नमन शिर झुकाकर अपना।  



 


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