दस दिवसीय धम्म शिविर केअनमोल पल,
कर गये जागृत शिविरार्थियों का मनोबल।
प्रातःपांच बजे उठना और व्यायाम करना।
यहां सीखा सबने बड़ों का सम्मान करना।
मिलकर नाश्ता दोपहर या रात का भोजन।
नैतिकता निर्माण के लिए शुद्ध हैआयोजन।
कोई गुजरात से तो कोई महाराष्ट्र से आया।
कोई उत्तराखंड से कोई भोपाल से आया।
भिन्न प्रान्तों व भाषाओं का हैअभिन्न संगम।
जाति विहीन समाज निर्माण पर है ये मंथन।
चन्द्रहास गौतम का अनुपम सम्मोहन मिला।
आचार्य किशोर बौद्ध जी का सम्बोधन मिला।
टूट गये है अज्ञानता के ये कठोर बंधन सब।
दिलों में हो रहा है ये स्नेह भरा स्पन्दन अब।
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