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रविवार, 1 जनवरी 2023

बखतकआंखर


यूं दिन,महैंन,सालों कैं,लैंरों गठ्यांण पारि।
बची छोंआज तक ,हम नयीं पुराणों पारि।
मैंस कस कसआय,सनातन क्वे नि रहय।
क्वे काम कैगय,क्वे क्वर फसक मारिगय।

गीत पैली नई हैनी,वींभोव पुराण है जानी।
चानैं चानैं बखत कैं,लोग तिथांण नै जानी।
बखतकआंखर जैलि बांच, जैलि वी जांच। 
ऊ दुनी में य बखतक पछ्याण धरि जांछ।

नौंसाल भेटनै रया,भल स्वींण देखनैं रया। 
तंदुरुस्त सुखी रया,घर पन  पूजनीय रया।
क्य नौं क्य पुराण,भौलभौल जो वी समांण।
नौं साल सबुलै नवांण,पुराण सबुलै तपांण।

आओआज खूब खितखित कैं हंसि ल्योंल।
भोव  हैंणि हम सबों  कैं खूब  याद  कौंल। 


कांटों से डरो नहीं

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