अभी हम कहां हैं आजाद!
कहो इन्कलाब जिंदाबाद ।
जाग रे जाग साथी जाग!
मुश्किलों से दूर मत भाग।
होकर निडर तू सामना कर,
क्रांति की तू कामना कर।
जुल्मियों को मार थप्पड़।
भगतसिंह की राह पकड़।
जुल्म अब तक सह रहे हैं।
ए हाल अपना कह रहे हैं।
अभी हम हैं कहां आजाद।
कहो इन्कलाब जिंदाबाद।
इतिहास के पन्ने पलट ले ।
शहीदों के वो गीत रट ले ।
भगतसिंह की प्रेरणा से,
नवयुग की बुनियाद रख ले।
जाग रे जाग साथी जाग।
मुश्किलों से दूर मत भाग।
होकर निडर सामना कर।
क्रांति की तू कामना कर।
अभी हम कहां हैं आजाद!
कहो इन्कलाब जिंदाबाद ।
केवल अभी सूरज उगा है।
न अभी स्वाभिमान जगा है।
धर्म जाति के इस तिमिर में,
रोगअस्पृश्यता का लगा है।
भगतसिंह के शब्द कोषों से,
तू बीज संकल्प के उठा ले।
इन्कलाब केअमर स्वर से ,
क्रांति की रोशनी जगा ले।
अभी हम कहां हैं आजाद !
कहो इन्कलाब जिंदाबाद ।
कहो इन्कलाब जिंदाबाद ।
जाग रे जाग साथी जाग!
मुश्किलों से दूर मत भाग।
होकर निडर तू सामना कर,
क्रांति की तू कामना कर।
जुल्मियों को मार थप्पड़।
भगतसिंह की राह पकड़।
जुल्म अब तक सह रहे हैं।
ए हाल अपना कह रहे हैं।
अभी हम हैं कहां आजाद।
कहो इन्कलाब जिंदाबाद।
इतिहास के पन्ने पलट ले ।
शहीदों के वो गीत रट ले ।
भगतसिंह की प्रेरणा से,
नवयुग की बुनियाद रख ले।
जाग रे जाग साथी जाग।
मुश्किलों से दूर मत भाग।
होकर निडर सामना कर।
क्रांति की तू कामना कर।
अभी हम कहां हैं आजाद!
कहो इन्कलाब जिंदाबाद ।
केवल अभी सूरज उगा है।
न अभी स्वाभिमान जगा है।
धर्म जाति के इस तिमिर में,
रोगअस्पृश्यता का लगा है।
भगतसिंह के शब्द कोषों से,
तू बीज संकल्प के उठा ले।
इन्कलाब केअमर स्वर से ,
क्रांति की रोशनी जगा ले।
अभी हम कहां हैं आजाद !
कहो इन्कलाब जिंदाबाद ।
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