अपनों से मिलने की हर मुलाकात खास हो।
निगाहों में घूमती रहे हर वक्त वो मंजिल-
जिसको पाने का जुनून व हौसला पास हो।
"""@स्नेही """
देख रहे मूँह सब, एक दूसरे का अब,
बातें खूब बना रहे,लोग घर घर में।
सरकार विजन की,है डबल इंजन की,
चल नहीं पा रही है, राज के सफर में।
कुछ दिनऔर चले,फिर चले या न चले,
जाने कैसा हाल होगा,चुनावी लहर में।
समय की मार पड़ी,है बेरोजगारी खड़ी,
परेशानी बढ़ रही, कोरोना कहर में।
"""@स्नेही"""
लड़ने के बहाने बहुत हैं पर क्या फायदा।
सुलह कर लेना ये जीवन का हो कायदा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें