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सोमवार, 8 फ़रवरी 2021

उजाला हो गया ***(पी)

""""""उजाला हो गया """"""""
रात काअवसान हुआ,और उजाला हो गया।
खूब उजली मोतियों को  हार में पिरो गया। 
क्रांति की मशाल जो भीमराव जला गया ।
बहुजनों को बुद्ध का धम्म पथ दिखा गया। 
कृतज्ञता प्रकट कर, वह बीज नया बो गया।
रात का अवसान हुआ,और उजाला हो गया

तू नया अक्षर तलाश,और शब्द नया तराश।
स्वयं सम्यक कर्म से ,लोक में जगा विश्वास।
वह रात रात जाग कर,अक्षर रहा तलाशता।
इतिहास नया लिख गया,उसकी ये महानता।
लक्ष्य दे गया विशाल,जगा गया वो अन्तराल।
काट करके फैंक गया बंदिशों का तुच्छ जाल।

बुनियाद हो मजबूत समतामूलक समाज की।
प्रबुद्ध राष्ट्र के लिए हो मुखर पुकारआज की।
ज्ञान से विज्ञान का युगअब निराला हो गया।
रात काअवसान हुआऔर उजाला हो गया ।
रूढ़ियों से आज भी इन्सान कुचला जा रहा।
भगवान के ही नाम पर पाखंड रचा जा रहा।

पहचान भीम ज्योतिबा कबीर पेरियार को। 
चन्द्रशेखर भगतसिंह सुभाष के विचार को।
अज्ञानता से तू निकल समाज कोअभेदकर।
लिख गये हैं संविधान भीमरावअम्बेेेडकर।
 मान और सम्मान हक  वंचितों को दे गया। 
 रात का अवसान हुआऔर उजाला हो गया।


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