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मंगलवार, 28 जून 2022

मन की बात

दूसरों को देख कर मन कुल बुलाता है।
गर्दिशे हाल अपनाभूल जाना चाहता है। 
कहना चाहता है वोअपने मन की बात,
अपने अनुभव साझा करना चाहता है।

छुपाकर बात वह नहीं रखना चाहता है।
मन में जो भी होउसके कहना चाहता है।
बात छोटी हो या बड़ी ये बात तो बात है ,
ज़िन्दगी को वो सौगात देना चाहता है।

बातें हैं जो जीवन की दशा बदल देती हैं। 
समझ आऐ दुश्मन का सर कुचल देती हैं। 
हर कोई बात सहज में नहीं मान लेता है,
बात भा गई तो परिस्थित बदल देती है।

बातें मन में यूँ मेघों की तरह उमड़ती हैं।
कभी बरसती ,बिजली सी कड़कती हैं।
सब बहरे हो गये हैं श्रोताओं की भीड़ में,
जाकर कान में ही  बात कहनी पड़ती है।


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