आज सड़कों पर युवा हैं लामबंद,
अग्निपथ को कौन पूछेगा यहां ?
अग्निवीरों की परीक्षाअग्निपथ में
परिणाम को कौन जूझेगा यहां ?
बात भक्ति की नहीं ये शक्ति की है,
शक्ति भी अर्जित होती है सोच से।
भूख से लड़ना सिखाता है समर्पण,
हार जाता है वह यहाँ संकोच से।
देश भक्ति है जवानों में एक जज्वा,
सम्मान ही उसके लिए उपयुक्त है।
तानके सीना कुचलता दुश्मनों को,
निज चिन्ताओं से यदि वो मुक्त है।
अनुबंध मात्र चार वर्षों के लिए जो,
कमजोर करेगा वीरों की आश को।
हरएक सैनिक पर हमें जहाँ गर्व है,
वो अग्निवीर कैसे सहें उपहास को।
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