यह ब्लॉग खोजें

रविवार, 17 जून 2018

हमारा त्यौहार हमारा राष्ट्र

आते हैं त्यौहार बहुत कुछ इनके हैं कुछ उनके हैं ।
देते हैं संदेश प्यार का त्यौहार भले ही जिनके हैं ।
             धर्म एक है राष्ट्र एक है पंथ अनेकों हो सकते हैं ।
              मानवता के लिए हम प्राण निछावर कर सकते हैं।
फिर क्यों नफरत क्यों ए झगड़े हमआपस करते  हैं ।
धर्म जाति के तुच्छ अहंकार से भाई भाई लड़ते हैं ।
               ईद दिवाली होली क्रिसमस और बैसाखी रक्षाबंधन ।
                राष्ट्रीय पर्व हों सभी हमारे सभी करें हम अभिनन्दन ।

कोई टिप्पणी नहीं:

कांटों से डरो नहीं

फूलों का गर शौक हैतो  काटों से डर कैसा। इरादा मजबूत हैतो  ख्याल ये मुकद्दर कैसा। कभी धूप कभी छांव रहा करती जिन्दगी में, साथ न हो हमसफ़र का त...