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शनिवार, 10 अप्रैल 2021

कोरोना महाकाल। स

हों धर्म गुरु या भक्तजन,
   कोरोना के हैं सभी चपेट में।
   अस्पतालों में जनता बेचारी,
      हैं सब डाक्टरों की लपेट में।

भोलेनाथ चुपचाप हिमाल में,
  राम लला का यही हाल है।
    कुम्भ में डुबकी लगान  कुछ,
     सामने खड़ा कोरोना काल है।

आ गई घड़ी अब संयम की,
  मजबूत इरादे कर लेते हैं।
   मानवता के हित हम सब,
    सत्पथ पर बुद्ध के चलते हैं।

विश्वास स्वयं का जाग उठे,
  कर्तव्य परायणता पनप उठे।
   ज्ञान विज्ञान के शोध कर्म कर,
    बांट लें शान्ति के फल मीठे।

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