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रविवार, 11 अप्रैल 2021

प्रेम बाती(पी)

""""""""प्रेम बाती """""
मेरे दिल मेरी धड़कन मेरे ईमान में है जो। 
मेरे जीवन की हर सुबह हर शाम में है जो।
प्रेम सागर में उठती हुई लहरों का स्पन्दन,  
सम्यकता भरी प्रेम की  मुस्कान में है जो।

शायद यही चाहत मेरे प्रेम का इजहार हो।।
धड़कनों में  बेताबी किसीका इन्तजार हो।
दिल में जो कसक टीस उठती न देखने में,
शायद वही मोहब्बत  किसी का प्यार हो।

तोड़ तिमिर के द्वार जब मैं राह पर निकला।
राह चिकनाथा बहुतऔरमैं राह में फिसला।
हालात खुद की देख सोचता सहारा मिले, । संघर्ष की राह में वो प्रेम का प्रतिफल मिल।

यूँ बहुत हैं इस दुनियां में मगर तुम एक थी।
खूबसूरत,समझदार व बहुत सरल नेक थी।
तुम्हारे मुस्कुराने से बदली है ये दुनियां मेरी,
मुस्कुराते राह बताना तुम्हारी अदा एक थी। 
 

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