""""फिर लौट कर आया""""
फिर लौटआया काल बनकर कोरोना।
जिसके लिए है हर आदमी को रोना।
लौकडाउन से बेबसी का आलम ऐसा,
जान बचाने को नहीं मिल रहा कोना।
फंस गयाआज वह बड़ी मुश्किल में।
हर तरफ है कोरोना का कहर पसरा,
जरा देखिए वह छुपा किस बिल में।
कितने ही घर जिनका चमन लुट गया।
कितने ही साथियों का संग छूट गया।
लाशों में लगा है यहां लाशों काअम्बार,
श्मशानों में लाशों का भी दम घुट गया।
इनआँखों ने देखा है मौत का नजारा।
मत पूछो कितना तड़फा दिल बेचारा।
मुसीबत में अच्छा नहीं विचलित होना,
धैर्य ही है सबका यहां एक मात्र सहारा।
"""""""""""स्नेही """"""""
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