यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 19 अप्रैल 2021

फिर लौट आया कोरोना (पी)

""""फिर लौट कर आया""""
फिर लौटआया काल बनकर कोरोना।
  जिसके लिए है हर आदमी को रोना।
    लौकडाउन से बेबसी का आलम ऐसा,
      जान बचाने को नहीं मिल रहा कोना।

हो गई है दहशत आदमी के दिल में।
  फंस गयाआज वह बड़ी मुश्किल में।
    हर तरफ है कोरोना का कहर पसरा,
      जरा देखिए वह छुपा किस बिल में।

कितने ही घर जिनका चमन लुट गया।
  कितने ही साथियों का संग छूट गया।
    लाशों में लगा है यहां लाशों काअम्बार,
     श्मशानों में लाशों का भी दम घुट गया।

इनआँखों ने देखा है मौत का नजारा।
  मत पूछो कितना तड़फा दिल बेचारा।
    मुसीबत में अच्छा नहीं विचलित होना,
      धैर्य ही है सबका यहां एक मात्र सहारा। 
"""""""""""स्नेही """"""""




कोई टिप्पणी नहीं:

कांटों से डरो नहीं

फूलों का गर शौक हैतो  काटों से डर कैसा। इरादा मजबूत हैतो  ख्याल ये मुकद्दर कैसा। कभी धूप कभी छांव रहा करती जिन्दगी में, साथ न हो हमसफ़र का त...