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सोमवार, 30 अगस्त 2021

चुनावी रणभेरी

बज  उठी  चुनावी  रणभेरी, 
सम्भाल लिए हैं तीर कमान।
सजने लगी  सेनाऐं  सबकी,
सेना पति  देने लगे हैं बयान।
"कह रहे साथियो उठ जाओ,
गप्प मारोजितना मार सको।
प्रजातंत्र  को  गड्ढे में  तुम, 
गाड़ो जितना गाड़ सको।" 
संसद  की मर्यादा  तोड़  चुके,
तिरंगे को किया तार  तार।
पक्ष- विपक्ष  ये सभी दलों के,
सब  नेता  गण थे  शर्मसार ।
उतर गये फिर सब  समर में,
लज्जा  का  कोई  भान  नहीं।
राज नीति  की  प्रतिद्वंद्विता में,
कोई  मान सम्मान कहीं ।
अब कोई  दूध के धुले नहीं हैं,
हैं  एक  ही थैली  के चट्टे -बट्टे।
खबरदार जागरूक  मतदाता,
कभी लालच में  पैर  न  रपटे।
धर्म  जाति  की बात  करे जो,
उसको  समझो  सबसे  झूठा।
करता  बुराई  औरों  की  जो,
उसने  भी  जनता को  लूटा।
कौन -कौन  दल बदलू  हैं ये -
कौन -कौन   रहे  भ्रष्टाचारी। 
 बहकावे  में तुम मत  आना, 
मतदान की रखना समझदारी।







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