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मंगलवार, 24 अगस्त 2021

बेचारे कुत्ते

आज गांव से शहरों में ,कुत्ते ज्यादा रहते हैं।
कुछ गलियों में घूमें, कुछ महलों में रहते हैं।
कुछ कुत्ते  हैं डरे डरे,कुछ कुत्तों से डरते हैं।
सच तो यही है गांव के कुत्ते मजे में रहते हैं।

गांव छोड़कर जब अपना,हम शहर आते हैं।
हमें शहर के रूखे सूखे,सपने हसीन भाते हैं। 
यहांआदमी से ज्यादा,कुत्तों का रुत होता है।
इसीलिए तो कुत्ता भी बड़ा सयाना  होता है। 

एक महाशय सुबह सुबह रोज घूमने जाते हैं।
साथ में अपने उन दोनों कुत्तों को ले जाते हैं।
हिन्दी हो या अंग्रेजी सब बातें वो समझते हैं।
ओरिओ टौमी मोती आपस में खेला करते हैं।

एक बात है कुत्ते जात-पात नहीं माना करते।
भाई-चारा है कि वे एक थाली में खाया करते।
पढ़े-लिखे इन्सानअभीआपस में भेद करते हैं। 
अस्पृश्यता से ग्रसित होकरआपस में लड़ते हैं।










 

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