शिल्पकारों के जननायक तुम,
सम्मानित मुंशी राय बहादुर से
हो हरि प्रसाद महानायक तुम।
हे भीमरावअंबेडकर साहब के,
विचारशील महा प्रशंसक तुम।
शत् शत् नमन हमारी तुमको,
आज ही हुए थे अवतरित तुम।
वंचित समाज के स्वर बनकर,
जन मानस में मुखर हुए तुम।
शिल्पकारों के प्रदर्शक हो कर,
लड़ते रहे आजीवन भर तुम।
शिक्षा संगठन और संघर्ष से,
करते रहे ये राह उजागर तुम।
स्वतंत्र व स्वाभिमान से जीयें,
बन गये स्नेह के सागर तुम।
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