जीएमओ की बस गिर गई, सैंतालीस लोग मर गये ।
एक झटके में कितने, परिवारों के सपने बिखर गये।
एक झटके में कितने, परिवारों के सपने बिखर गये।
नैनीडांडा क्वीन गांव के पास ही, हुआ है यह हादसा ।
हंसते हुए निकले थे घरों से, क्यों काल आ गया सहसा ।
मच गई चित्कार खाई में, कुछ मौन हुए कुछ घायल थे ।
मरने वालों में, कुछ महिला बच्चे बूढ़े जवान सामिल थे।
इस होनी को अनहोनी को, हम भाग्य कहैं या भूल कहैं ।
किस किस को दोषी ठहरायें ,हम कैसे गुनाह कबूल करें ।
उत्तराखंड पृथक राज्य हो,हमने कितने सपने संजोए थे ।
उन जनसंघर्षों में सहभागी होकर कितने लाल खोये थे । भूल गये विकास की राहों को,दूर दराज पहाड़ी गावों को।
बिजली पानी सड़क परिवहन शिक्षा की समस्याओं को ।
बस नेता बनने की चाहत में, सब मर्यादाएं तोड़ चुके हैं ।
हैं चोर चोर मौसेरे भाई ,आपस में सब गठजोड़ चुके हैं ।
धिक्कार है ऐसे नेताओं को, यहाॅ जो झूठे गाल बजाते हैं ।
सौ सौ चूहे खाकर बिल्ली, कभी हज करने में न सरमाते हैं।
नेता नैतिकता का पाठ छोड़ दे,तब सत्ता का मद चढ़ता है।
सरकारों की नाकामी से ही यहाॅ अपराधों का दर बढ़ता है ।
हम भी देश के नागरिक हैं, हमभी हैं उतने ही उत्तरदायी ।
जीवन है अनमोल सभी का ,क्यों करें कभी लापरवाही ।
घटना से आहत मेरा मन अर्पित करता है ये शब्द सुमन ।
हे चिरविश्रामी -शांति- शांति -शान्ति हो शांति नमन ।
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